Nalanda University Photos: नया भारत हर दिन एक नई उपलब्धि हासिल करने की ओर बढ़ रहा है. आज, 19 जून 2024 की तारीख भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण तारीखों में शामिल हो चुकी है.
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में स्थित नालंदा यूनिवर्सिटी की नई इमारत का उद्घाटन कर दिया. इसी के साथ देश का यह पहला प्राचीन विश्वविद्यालय एक नया इतिहास लिखने जा रहा है.
अब सालों पहले खाक में मिला दी गई नालंदा विश्वविद्यालय की भव्य इमारत 800 सालों बाद फिर बोल उठी है. यहां देखिए यूनिवर्सिटी के नए कैंपस की कुछ तस्वीरें...
भारत का पहला और दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. इसने सैकड़ों वर्षों में जिस शोहरत की जिन बुलंदियों को छुआ, उसी तरह खुद को राख होते हुए भी देखा.
मोहम्मद बख्तियार खिलजी ने 1199 में नालंदा विश्वविद्यालय को न केवल ध्वस्त कर दिया था, बल्कि उसमें आग भी लगा दी थी. इसकी लाइब्रेरी में रखी लाखों किताबें महीनों तक उस आग में धधकती रहीं.
अब वर्षों बाद किताबों का भंडार और शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीय केंद्र कुछ खो देने का दर्द भूलकर, नालंदा विश्वविद्यालय की कल्पना भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) देशों के बीच सहयोग के रूप में की गई है.
नालंदा विश्वविद्यालय का समृद्ध भारत के इतिहास से गहरा नाता है. लगभग 1600 साल पहले स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय को दुनिया के पहले आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है.
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का परिसर बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ था. अवशेषों को देखकर ही इसकी भव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है. उस समय नालंदा में 300 कमरे, 7 बड़े कमरे और एक 9 मंजिला विशाल पुस्तकालय हुआ करता था.
नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस में 40 क्लासेस वाले दो शैक्षणिक ब्लॉक हैं, जिनकी कुल बैठने की क्षमता लगभग 1900 है. इसमें दो ऑडोटोरियम हैं, जिनमें से हर एक कैपेसिटी 300 सीटों की है.
नालंदा यूनिवर्सिटी में लगभग 550 स्टूडेंट्स की कैपेसिटी वाला एक हॉस्टल है. इसमें अलाव और भी कई सुविधाएं हैं, जिनमें एक अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, 2000 लोगों की कैपेसिटी वाला एम्फीथिएटर, फैकल्टी क्लब और एक खेल परिसर शामिल है.
यह दुनिया का सबसे बड़ा नेट जीरो कार्बन कैम्पस है. यह परिसर कॉम्प्लैक्स सोलर प्लांट, घरेलू और पेयजल ट्रीटमेंट प्लांट, बेकार पानी रो दोबारा इस्तेमाल करने के लिए एक वॉटर रिसाइक्लिंग प्लांट, 100 एकड़ वॉटर यूनिट और कई अन्य पर्यावरण-अनुकूल सुविधाओं के साथ आत्मनिर्भर है.
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