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दुनिया की सबसे लंबी नदी पर बना वो बांध, जिसको लेकर भिड़े तीन देश; फिर हुआ ये

Nile River Dam row: नील नदी इथियोपिया से होकर मिस्र और सूडान में आती है. एक दशक पहले इथियोपिया ने इस नदी पर बांध बनाने की शुरुआत की थी. उसका द ग्रैंड इथियोपियन रेनेसां डैम या जीईआरडी अफ्रीका महाद्वीप का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट है. जो अपनी शुरुआत के समय से ही नील बेसिन क्षेत्र में तनाव का कारण भी है. अब इथियोपिया ने कहा है कि उसने मेगा-बांध पर सूडान (Sudan) और मिस्र (Egypt) के साथ बातचीत का दूसरा दौर शुरू कर दिया है.

कब निकलेगा हल?

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कब निकलेगा हल?

अफ्रीकी देश इथियोपिया ने कहा है कि वो नील नदी पर बने विशाल बांध में पानी भरने के चौथे चरण की शुरुआत करने जा रहा है. इसके साथ ही इथियोपिया ने यह भी कहा है कि वो पड़ोसी देश मिस्र और सूडान के साथ नदी के पानी को लेकर विवाद को खत्म करने के लिए भी प्रतिबद्ध है. इस मुद्दे पर वर्षों तक मतभेद रहने के बाद, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी और इथियोपियाई प्रधान मंत्री अबी अहमद जुलाई में चार महीने के भीतर एक समझौते को अंतिम रूप देने पर सहमत हुए थे. इसके बाद उन्होंने पिछले महीने अगस्त 2023 में एक बार फिर से बातचीत शुरू की थी.

 

लंबे समय से बंद थी बातचीत

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लंबे समय से बंद थी बातचीत

एक ओर इथियोपिया का कहना है कि उसके विकास के लिए ये बांध जरूरी है. वहीं मिस्र और सूडान को डर है कि इससे उनके हिस्से का पानी इथियोपिया में ही रोक लिया जाएगा. अफ्रीकी यूनियन के मौजूदा अध्यक्ष सिरिल रामाफ़ोसा के आह्वान पर तीनों देशों के नेताओं ने तीन साल पहले भी आपस में वार्ता की थी. फिर कोरोना महामारी की वजह से सब काम ठप पड़ गया था.

कौन-से दूसरे विवाद हैं?

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कौन-से दूसरे विवाद हैं?

तीनों देशों के बीच बांध को लेकर विवाद का सबसे बड़ा विषय है कि सूखे की स्थिति में बांध कैसे काम करेगा? और जो पहले से लंबित विवाद हैं उन्हें कैसे निबटाया जाएगा. मिस्र और सूडान की ओर से उठाए गए विरोध को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में घसीटने की बात तक हो चुकी है.

अफ्रीकी यूनियन भी है चिंतित

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 अफ्रीकी यूनियन भी है चिंतित

इस मामले पर अफ्रीकी यूनियन ने कहा है कि, इथियोपिया, मिस्र और सूडान के बीच 90 फ़ीसदी विवादों का निपटारा हो चुका है. यूनियन ने ये भी कहा है कि तीनों ही देश ऐसा कोई बयान न दें या ऐसा कोई क़दम न उठाएं जिससे वार्ता प्रक्रिया को ठेस पहुंच सकती है.

एक उम्मीद

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एक उम्मीद

इस वार्ता के दोबारा शुरू होने से बड़ी उम्मीद जगी है.

नील नदी और बांध

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नील नदी और बांध

नील नदी 10 देशों से होकर गुज़रती है और ये इन अफ्रीकी देशों की जीवनरेखा है. पानी के अलावा ये बिजली का भी अहम स्रोत है. नील नदी पर बन रहे इथियोपिया के जीईआरडी बांध पर क़रीब 4 अरब डॉलर खर्च हुए हैं और ये 6450 मेगावॉट बिजली पैदा करेगा.

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इस विवाद का क्या समाधान निकलेगा कोई नहीं जानता. लेकिन इथोपिया जिस तरह से पानी भरने की शुरुआत कर चुका है उससे अन्य दोनों देशों के मन में भरा संदेह और गहरा गया है.

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