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Nishad Kumar Paralympics: चारा काटने में निषाद ने गंवाया था हाथ, फिर भी नहीं मानी हार, मां के सपोर्ट से पेरिस में लहरा दिया तिरंगा

Nishad Kumar High Jump Paris 2024 Paralympics Story: पेरिस में चल रहे पैरालंपिक में भारत के खिलाड़ी कमाल का प्रदर्शन कर रहे हैं. देश को लगातार मेडल मिल रहे हैं. इन खेलों में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों की अपनी ही कहानी है. दिव्यांग होने के बावजूद हौसले को कायम रखकर ये प्लेयर्स देश का नाम ऊंचा कर रहे हैं. भारत के एथलीट निषाद कुमार ने पेरिस पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर कमाल कर दिया है. हाई जंप में मेडल जीतने वाले इस प्लेयर की कहानी ने सबको काफी प्रभावित किया है.

निषाद ने हासिल किया लक्ष्य

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निषाद ने हासिल किया लक्ष्य

निषाद ने कड़ी मेहनत और संघर्ष से इस सिल्वर मेडल को अपने नाम किया है. वह मेडल के दावेदारों में शुरू से ही बने हुए थे. उनका लक्ष्य पेरिस से खाली हाथ नहीं का था. उन्हें अपने लक्ष्य को हासिल भी किया. यह पैरालंपिक में उनका दूसरा मेडल है. इससे पहले उन्होंने टोक्यो में भी सिल्वर जीता था.

किसान परिवार में हुए पैदा

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किसान परिवार में हुए पैदा

निषाद हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के अंब उपमंडल के गांव बदाऊं के रहने वाले हैं. उनका परिवार मुख्य रूप से खेती पर निर्भर है. किसान परिवार में पैदा हुए निषाद को बचपन में ही बड़ा सदमा लगा था.

बचपन में कट गया था हाथ

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बचपन में कट गया था हाथ

निषाद जब 8 साल के थे तो चारा काटने वाली मशीन में उनका हाथ कट गया था. इसके बाद परिवार ने उनका साथ दिया और आगे बढ़ने में हमेशा मदद की. किसी ने उन्हें यह महसूस नहीं होने दिया कि उनका हाथ कटा हुआ है.

मानसिक रूप से मजबूत

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मानसिक रूप से मजबूत

मशीन में हाथ कटने के बाद से निषाद अलग श्रेणी के बच्चों में शामिल हो गए. वह शुरू से ही मानसिक रूप से काफी मजबूत रहे हैं. उन्होंने अपनी कमजोरी को ही अपनी मजबूती बना ली और खेलों में नाम कमाने का लक्ष्य बना लिया.

मां ने दिया साथ

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मां ने दिया साथ

निषाद की मां पुष्पा देवी भी एथलीट रह चुकी हैं. उन्होंने वॉलीबॉल और शॉटपुट में अपने हाथ आजमाए थे. वह एक प्लेयर की मानसिकता को अच्छी तरह से जानती थी. उन्होंने अपने बेटे का साथ दिया और निषाद के पीछे हमेशा चट्टान की तरह खड़ी रहीं. मां ने लगातार निषाद का हौसला बढ़ाया और स्कूल के बाद कॉलेज में भी खेलने के लिए प्रेरित किया. आज निषाद ने दूसरी बार पैरालंपिक मेडल जीतकर अपने मां-बाप के साथ पूरे देश को फिर से गौरवान्वित किया.

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