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दुनिया के वो देश, जहां कुछ समय बाद रहने के लिए नहीं बचेंगे लोग

Population: तमाम कारणों के चलते दुनिया के कई देशों में जनसंख्या घट रही है. कुछ देशों में तो यह स्थिति इतनी गंभीर है कि आने वाले समय में वहां रहने के लिए जगह नहीं बच सकती है.

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ऐसे कई देश हैं जिनकी जनसंख्या तेजी से घट रही है और जिनके बारे में कहा जा रहा है कि आने वाले समय में वे खाली हो सकते हैं. इसी कड़ी में मंगलवार को चीन में पिछले 60 सालों में पहली बार जनसंख्या में कमी दर्ज की गई. लेकिन ऐसा अकेला चीन में नहीं हो रहा है. संयुक्त राष्ट्र की पिछले साल जुलाई में जारी की गई 2100 तक की भविष्यवाणियों के अनुसार, कई देशों - खासकर यूरोप और एशिया में - आने वाले दशकों में अपनी जनसंख्या में कमी देखेंगे. कुछ अन्य देशों में तो जनसंख्या पहले से ही घट रही है.

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असल में पिछले दस सालों में दस करोड़ से ज़्यादा आबादी वाले आठ देशों की जनसंख्या घट गई है. इनमें से ज़्यादातर यूरोपीय देश हैं. रूस के हमले की वजह से यूक्रेन की जनसंख्या तेज़ी से गिरी है, इसके अलावा इटली, पुर्तगाल, पोलैंड, रोमानिया और ग्रीस में भी लोगों की संख्या कम हो रही है. इन देशों में जनसंख्या घटने की कई वजहें हैं, जिनमें से कुछ हर देश के लिए अलग-अलग हैं, लेकिन इन सभी में एक समान बात यह है कि इन देशों में महिलाएं पहले की तुलना में औसतन कम बच्चे पैदा कर रही हैं, यानी इनकी प्रजनन दर कम है.

 

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विश्व बैंक के मुताबिक, इन दक्षिणी और पूर्वी यूरोपीय देशों में प्रति महिला 1.2 से 1.6 बच्चों की प्रजनन दर दर्ज की गई है. जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए 2 से ज़्यादा की प्रजनन दर की ज़रूरत होती है. इसके अलावा, पोलैंड, रोमानिया और ग्रीस में बड़ी संख्या में लोग काम की तलाश में दूसरे देशों चले जा रहे हैं, जिससे इन देशों की जनसंख्या पर भी असर पड़ रहा है. यूरोप के बाहर, जापान में भी बुज़ुर्गों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है और युवाओं की संख्या घट रही है. इसकी बड़ी वजह यह है कि वहां प्रति महिला 1.3 बच्चे पैदा होते हैं और वहां बहुत कम लोग दूसरे देशों से आकर बसते हैं. साल 2011 से 2021 के बीच जापान की 30 लाख से ज़्यादा जनसंख्या कम हो गई.

 

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मध्य पूर्व में भी यही है. सीरिया में, एक दशक से अधिक समय से चले आ रहे भीषण युद्ध के कारण आबादी तबाह हो गई है, लाखों शरणार्थी पड़ोसी देशों और उससे बाहर भाग गए हैं. सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (एसओएचआर) का अनुमान है कि लड़ाई में लगभग 606,000 पुरुष, महिलाएं और बच्चे मारे गए हैं. चीन, जो अभी दुनिया का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है, सालों से अपनी बढ़ती बुजुर्ग आबादी के देश की अर्थव्यवस्था और समाज पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित रहा है. लेकिन उम्मीद थी कि आबादी में गिरावट आने में अभी लगभग दस साल लगेंगे.

 

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अभी मंगलवार को पता चला कि अब चीन में पहले से कम लोग हैं, और यह अनुमान है कि यह रुझान लंबे समय तक रहेगा और आने वाले सालों में आबादी पर असर डालेगा. अनुमान है कि 2100 तक चीन की आबादी लगभग आधी रह जाएगी और 1.4 अरब से घटकर 77.1 करोड़ हो जाएगी.

 

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रूस, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और स्पेन की जनसंख्या में भी 2030 तक कमी शुरू होने वाली है. पूरे यूरोप की जनसंख्या में इसी दशक की शुरुआत से गिरावट आना शुरू हो जाएगी. लेकिन कुछ अपवाद भी हैं.

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