Trackless Train: यह ट्रेन बिना पटरी के तेज रफ्तार से दौड़ती है.हालांकि ये भारत में नहीं चलती. दो साल की टेस्टिंग के बाद वर्चुअल पटरियों पर दौड़ने वाली फ्यूचरिस्टिक ट्रेन ने पहली बार साल 2019 में अपने सफर की शुरुआत की. चीन के सिचुआन प्रांत के यिबिन में इसे सबसे पहले लॉन्च किया गया.
Train without Railway Track: ट्रेनों में कभी न कभी सफर जरूर किया होगा. पटरियों पर दौड़ती ट्रेनें भी देखी होगी, लेकिन क्या कभी ऐसी ट्रेन देखी है जो पटरी के बिना दौड़ती है ? ये ट्रेन बिना पटरी के सरपट भागती है. हैं. आपको हैरानी होगी, लेकिन बता दें कि ये ट्रेनें डामर से बनी सड़क पर कार और बसों की तरह चलती हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसी ट्रेन भला ऐसे कैसे हो सकता है. जी हां ये ट्रेन बिना पटरी और बिना ड्राइवर के फर्राटे से दौड़ती है. लोग सफर के लिए इस ट्रेन का करते हैं इंतजार।
सुनकर आप हैरान हो रहे होंगे, लेकिन ये पूरी तरह सच है. यह ट्रेन बिना पटरी के तेज रफ्तार से दौड़ती है.हालांकि ये भारत में नहीं चलती. दो साल की टेस्टिंग के बाद वर्चुअल पटरियों पर दौड़ने वाली फ्यूचरिस्टिक ट्रेन ने पहली बार साल 2019 में अपने सफर की शुरुआत की. चीन के सिचुआन प्रांत के यिबिन में इसे सबसे पहले लॉन्च किया गया.
यह ट्रेन स्टील या आयरन की पटरियों के बजाय, ट्राम-बस-हाइब्रिड डामर पर सफेद रंग से रंगी हुई पटरियों पर चलती हैं. बता दें कि ट्राम-बस-हाइब्रिड का मतलब है ऐसा व्हीकल जो रेलवे और बसों के बीच का संयोजन है. आम भाषा में कहे तो वो ट्रेन है, लेकिन बसों की तरह सड़कों पर चलती है.
सीआरआरसी कॉरपोरेशन ने इस ट्रेन का निर्माण किया है. वैसे तो ये ट्रेन ड्राइवरलेस होती है, लेकिन दुर्घटनाओं से बचने के लिए इसमें चालक बैठा रहता है. ट्रेन के रफ्तार की बात करें तो ये 70 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से चलती है. ट्रैक पर दौड़ने वाली ट्रेनों की तुलना में ये काफी हल्की होती है. वहीं इसके पहिए रबर के होते हैं. ये ट्रेन पटरी के बजाए कारों और बसों के बीच सड़कों पर दौड़ती है.
32 मीटर लंबी इस ट्रेन में 3 बोगियां लगी होती हैं, जो 300 लोगों को ले जाने में सक्षम होती हैं. हालांकि अगर जरुरत पड़ी तो इसमें 2 और बोगियां जोड़ी जा सकती हैं. यानी करीब 500 लोग एक साथ सफर कर सकते हैं.
यह ट्रेन पेट्रोल-डीजल नहीं बल्कि लिथियम-टाइटेनेट बैटरी से चलती है. एक बार फुल चार्ज होने पर 40 Km की दूरी तय कर सकती है. सबसे खास बात तो ये कि इस ट्रेन में दोनों ही तरफ हेड सिस्टम होते हैं, यानी यू-टर्न की कोई जरूरत नहीं है.अगर लागत की बात करें तो चूंकि इस ट्रेन के लिए ट्रैक की जरूरत नहीं होती, इसके निर्माण और रखरखाव की लागत भी बहुत कम हो जाती है. जहां नॉर्मल पटरी पर दौड़ने वाली ट्रेन के एक किलोमीटर के निर्माण में लगभग 15 से 25 करोड़ रुपए की लागत आती है, वहीं इस हाई-टेक वर्चुअल लाइन की लागत इससे आधे से भी कम है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़