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Surya Grahan 2024: सूर्य ग्रहण कब लगता है? जानिए इसका वैज्ञानिक और धार्मिक कारण

Surya Grahan Kaise Lagta Hai: आज साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है. सूर्य ग्रहण कब और कैसे होता है, यह जानने की जिज्ञासा होना आम बात है. आइए जानते हैं कि सूर्य कैसे होता है, साथ ही हिंदू धर्म के अनुसार सूर्य ग्रहण क्‍या है और इसे क्‍यों अशुभ माना गया है? 

खगोलीय घटना

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खगोलीय घटना

सूर्य ग्रहण एक महत्‍वपूर्ण खगोलीय घटना है. सौरमंडल में सूर्य स्थिर है और पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है. वहीं चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है और साथ ही साथ सूर्य का भी चक्कर लगाता है. कई बार ऐसा मौका आता है जब जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आता है. इससे सूर्य से धरती पर आने वाला प्रकाश कुछ समय के लिए बाधित हो जाता है. इसे ही सूर्य ग्रहण कहते हैं. 

सूर्य ग्रहण के प्रकार

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सूर्य ग्रहण के प्रकार

सूर्य ग्रहण 3 प्रकार का होता है. पूर्ण सूर्य ग्रहण - जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढंक लेता है, तो कुछ मिनटों के लिए धरती के कुछ हिस्‍सों पर अंधेरा छा जाता है. आंशिक सूर्य ग्रहण - इसमें चंद्रमा का सिर्फ एक हिस्सा ढंकने से पृथ्वी पर आंशिक छाया बनती है. वलयाकार सूर्य ग्रहण - इसमें चंद्रमा सूर्य की डिस्क को पूरी तरह से नहीं ढंक पाता है और आसमान में 'आग की रिंग' दिखाई देती है. इसे फॉयर ऑफ रिंग कहते हैं. 

हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण

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हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से निकले अमृत को पीने के लिए स्‍वरभानु राक्षस रूप बदलकर सूर्य और चंद्र के बीच बैठ गया. अमृत उसके गले तक ही पहुंचा था, तभी भगवान विष्‍णु ने उसे पहचान लिया और सुदर्शन चक्र से राक्षस का सिर धड़ से अलग कर दिया. राक्षस कस सिर राहु और धड़ केतु कहलाया. जब भी राहु केतु सूर्य और चंद्र को अपना ग्रास बना लेते हैं, तब सूर्य और चंद्र ग्रहण लगते हैं. 

बढ़ जाती है नकारात्‍मकता

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बढ़ जाती है नकारात्‍मकता

मान्‍यता है कि जब भी सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण लगता है तो माहौल में नकारात्‍मकता बढ़ जाती है. इसलिए ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ, शुभ-मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है. हालांकि ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए मंत्र जाप और भगवान की आराधना कर सकते हैं. 

इन बातों का रखें ध्‍यान

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इन बातों का रखें ध्‍यान

सूर्य ग्रहण के दुष्‍प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण के सूतक काल के दौरान कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए. साथ ही खाने-पीने की चीजों पर ग्रहण का दुष्‍प्रभाव ना पड़े इसलिए उसमें तुलसी के पत्‍ते डाल दें. ग्रहण के बाद स्‍नान करें और दान-पुण्‍य करें. गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान बाहन ना निकलें. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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