बिना किसी योजना के पाक से बातचीत नुकसानदेह हो सकती है : सलमान खुर्शीद
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बिना किसी योजना के पाक से बातचीत नुकसानदेह हो सकती है : सलमान खुर्शीद

न्यूयॉर्क में भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच बैठक रद्द होने के बाद समाचार एजेंसी 'भाषा' के पूछे 5 सवालों का जवाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने दिया. 

 भाजपा दो तरह का रूख अपनाती है, एक रूख जब वह विपक्ष में होती है, दूसरा जब वह सत्ता में होती है (फाइल फोटो)

नयी दिल्ली: न्यूयॉर्क में भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच बैठक पर राजी होने के महज 24 घंटे बाद शुक्रवार को सरकार ने कहा कि कोई बैठक नहीं होगी. भारत ने जम्मू कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों की बर्बर हत्या और पाकिस्तान द्वारा कश्मीरी आतंकवादी बुरहान वानी का महिमामंडन करने वाले डाक टिकट जारी करने का हवाला देते हुए यह बैठक रद्द किए जाने की घोषणा की. पेश है इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद से ‘‘भाषा के पांच सवाल’’ और उनके जवाब : 

प्रश्न : सरकार ने गुरूवार को यूएनजीए की बैठक से इतर भारत-पाक विदेश मंत्रियों की बैठक की घोषणा की थी और शुक्रवार को इसे रद्द कर दिया. स घटनाक्रम को आप कैसे देखते हैं ?

उत्तर : शांति की तलाश के लिये पाकिस्तान के साथ बातचीत जरूरी है लेकिन बिना किसी योजना के संदर्भ से इतर बातचीत और वह भी विदेश मंत्री स्तर की बातचीत.... नुकसानदेह साबित हो सकती है इससे हम प्रभावित होंगे, बातचीत प्रभावित होगी. पहलेें कि बातचीत नहीं करेंगे, फिर कहें कि बातचीत करेंगे.. यह विदेश नीति से जुड़ा विषय है, मजाक नहीं है.

प्रश्न : क्या वर्तमान परिस्थिति में बातचीत के लिये माहौल उपयुक्त है जब पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व में नई सरकार बनी है ? 

उत्तर : सीमापार से हो रही गोलीबारी में हम लगातार अपने जवान खो रहे हैं, हमारे युवा देश की रक्षा के लिये बलिदान दे रहे हैं, ऐसी प्रतिकूल परिस्थिति में पाकिस्तान के साथ बातचीत उपयुक्त नहीं हैं .

प्रश्न : सरकार की यूएनजीए सम्मेलन से इतर भारत..पाक विदेश मंत्रियों की बैठक रद्द किये जाने के फैसले को आप कैसे देखते हैं ? 

उत्तर : अब, ऐसा लगता है कि देर से ही सही, थोड़ी सद्बुद्धि आई है :सरकार को:.अगर इस बारे में कुछ होना चाहिए तब यह निचले स्तर पर होना चाहिए, विदेश मंत्री के स्तर पर नहीं .

जब स्थिति में सुधार हो तब गंभीरतापूर्वक विश्लेषण करने के बाद आगे की ओर बढ़ने वाली बातचीत हो सकती है.

प्रश्न : जब केंद्र में संप्रग सरकार थी, तब भी पाकिस्तान से बातचीत की पहल की गई.तब से अब तक क्या बदलाव आया है ? 

उत्तर : मैं कहना चाहता हूं कि सरकार में रहते हुए जब भी शांतिपूर्ण परिणाम निकालने के लिये हमने पाकिस्तान से सम्पर्क का प्रयास किया , तब तब भाजपा ने इसकी काफी आलोचना की .हमने तब भाजपा के विचारों का सम्मान किया.भाजपा दो तरह का रूख अपनाती है, एक रूख जब वह विपक्ष में होती है, दूसरा जब वह सत्ता में होती है .

प्रश्न : भाजपा सरकार की नीति को आप किस तरह से देखते हैं ? 

उत्तर : क्या हम यह बात भूल सकते हैं कि मोदी सरकार ने कहा था कि आतंकवाद और बातचीत साथ साथ नहीं चल सकते .हम उनकी यह बात नहीं भूले हैं . यह भी नहीं भूले हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिना किसी पूर्व कार्यक्रम या घोषणा के नवाज शरीफ के घर गए थे जब शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे । दोनों ने काफी गहरी मित्रता का प्रदर्शन भी किया लेकिन इसके बाद क्या हुआ, सभी को पता है.

मुझे यह कहते हुए खेद है कि उन्होंने ऐसा इसलिये किया क्योंकि वे तुरंत लाभ उठाना चाहते थे.विदेश नीति क्या ऐसे चलती है ? 

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