Acharya Vidhyasagar Maharaj: 30 साल से नमक-चीनी, दूध-सब्‍जी नहीं किया ग्रहण, त्‍याग की मूर्ति थे मुनि आचार्य विद्यासागर
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Acharya Vidhyasagar Maharaj: 30 साल से नमक-चीनी, दूध-सब्‍जी नहीं किया ग्रहण, त्‍याग की मूर्ति थे मुनि आचार्य विद्यासागर

Acharya Vidhyasagar Maharaj: आज जैनों के गुरु महान संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने समाधि ले ली. आचार्य श्री के देह त्‍याग से जैन समुदाय गहरे दुख में डूब गया है. आइए जानते हैं आचार्य श्री का जीवन जिसने उन्‍हें महान संत बनाया. 

Acharya Vidhyasagar Maharaj: 30 साल से नमक-चीनी, दूध-सब्‍जी नहीं किया ग्रहण, त्‍याग की मूर्ति थे मुनि आचार्य विद्यासागर

Acharya Vidhyasagar Maharaj Samadhi Maran: आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने 18 फरवरी, रविवार को देह त्‍याग कर दी. बीते 3 दिन से उनकी समाधि प्रक्रिया चल रही थी, जिसके तहत उन्‍होंने अन्‍न-जल का त्‍याग कर दिया था. साथ ही अपने शिष्‍य निर्यापक मुनि समयसागर जी महाराज को आचार्य पद सौंप दिया था. आचार्य श्री के देह त्‍याग की खबर से पूरा जैन समुदाय गहरे दुख में है. आज 18 फरवरी की दोपहर साढ़े 12 बजे आचार्य श्री की अंतिम डोला यात्रा समाधि महोत्‍सव होगा. जब से आचार्य श्री छत्‍तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ में थे तब से ही वहां जैन समुदाय के लोग बड़ी संख्‍या में पहुंच रहे थे. जैन मुनि आचार्य विद्यासाग का जीवन तप, त्‍याग, प्रेम और करुणा का जीवंत उदाहरण है. आइए जानते हैं आचार्य श्री के जीवन से जुड़ी वो अहम बातें जिन्‍होंने उन्‍हें महान संत बनाया. 

पूरे परिवार ने ली दीक्षा 

आचार्य श्री का जन्‍म आश्विन शरद पूर्णिमा को 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक प्रांत के बेलग्राम जिले के सुप्रसिद्ध सदलगा ग्राम में हुआ था. श्री मलप्पा पारसप्पा अष्टगे और श्रीमतीजी के घर जन्मे इस बालक का नाम विद्याधर रखा गया. यह 4 बेटों में दूसरे नंबर का बेटा था. जिसने बेहद कम उम्र में ही ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया और फिर 22 साल में जैन मुनि की दीक्षा ले ली. इसके बाद महज 26 साल की उम्र में आचार्य पद मिला. आचार्य श्री ही नहीं बल्कि गृहस्‍थ जीवन का उनका पूरा परिवार ही मोक्षमार्ग पर चला. उनके माता-पिता ने भी जैन दीक्षा और समाधिस्‍थ होकर इस संसार को अलविदा कहा. वहीं उनके 2 छोटे भाई भी दीक्षा लेकर मुनि समयसागर और मुनि योगसागर बने. उनकी 2 बहनें भी हैं, वे भी मोक्षमार्ग पर चलीं. 

त्‍याग की मूर्ति आचार्य श्री विद्यासागर महाराज 

आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को त्‍याग और तपस्‍या की मूर्ति कहा जाता है. आचार्य श्री ने पूरे जीवन बेहद कठिन चर्या का पालन किया. 30 वर्ष से अधिक समय से उन्‍होंने चीनी, नमक, हरी सब्जी का त्याग, फल का त्याग, तेल, घी आदि का त्‍याग किया हुआ था. वे दिन में एक बार ही सीमित ग्रास और सीमित अंजुली जल (भोजन-पानी) लेते थे. वैसे तो सभी जैन मुनि ही सोने के लिए बिस्‍तर आदि का उपयोग नहीं करते हैं, लेकिन आचार्य श्री ने लंबे समय से चटाई तक का उपयोग नहीं किया था. साथ ही एक करवट पर जितनी नींद हो पाए, उतना ही सोते थे और बाकी पूरा समय भगवान की भक्ति में ही लगाते थे. 

दीं सबसे ज्‍यादा दीक्षा 

आचार्य श्री ने अब तक सबसे ज्‍यादा 500 से ज्‍यादा मुनि और माताजी (महिला साध्‍वी) को दीक्षा दी. गिनीज वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में उनका यह रिकॉर्ड दर्ज करते हुए उन्‍हें ब्रह्मांड का देवता कहा गया है. आचार्य श्री ने जीवन पर धर्म, अहिंसा, प्रेम, करुणा का दिया संदेश दिया. उनके सानिध्‍य में कई मांसाहारी लोगों ने शाकाहार को अपनाया. उनकी प्रेरणा से वैसे तो कई भव्‍य जैन मंदिर देश में बने लेकिन मध्‍य प्रदेश के कुंडलपुर तीर्थक्षेत्र की बात ही अलग है. जहां बड़े बाबा भगवान आदिनाथ की विशाल मूर्ति स्‍थापित है. यह मंदिर अक्षरधाम मंदिर की तर्ज पर बना बेहद भव्‍य मंदिर है. उन्‍होंने कई किताबें लिखीं और हिंदी राष्‍ट्र, हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करने में अहम भूमिका निभाई. 

अपूरणीय क्षति- पीएम मोदी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मशहूर एक्‍टर आशुतोष राणा समेत कई राजनेताओं, प्रमुख हस्तियों ने सोशल मीडिया के जरिए आचार्य श्री की समाधि को अपूरणीय क्षति बताते हुए शोक जताया है. 

 

 

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