Masik Durgashtami 2024: आज मासिक दुर्गाष्टमी पर करें इस स्तोत्र का पाठ, हर कामना पूरी करेंगी मां दुर्गा
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Masik Durgashtami 2024: आज मासिक दुर्गाष्टमी पर करें इस स्तोत्र का पाठ, हर कामना पूरी करेंगी मां दुर्गा

Ashad Month Durgashtami 2024: हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा-उपासना का दिन होता है. 

 

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Siddha Kunjika Stotra: ज्योतिष शास्त्र में मां दुर्गा को शक्ति का अवतार माना जाता है. किसी भी माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि मां दुर्गा को समर्पित है. इस दुर्गाष्टमी व्रत किया जाता है. इस दिन मां दुर्गा की पूजा के साथ-साथ व्रत भी रखा जाता है. मान्यता है कि दुर्गाष्टमी के दिन सच्चे मन से मां की आराधना करते हैं मां अम्बे उससे प्रसन्न होकर उसकी झोली भर देती हैं. 

मान्यता है कि मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत आदि करने से घर मे शांति और सुख-समृद्धि का आगमन होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मासिक दुर्गाष्टमी के दिन पूजा के दौरान सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से मां बेहद प्रसन्न होती हैं और जातकों पर बेशुमार कृपा बरसाती हैं. चलिए जानते है इस स्तोत्र के बारे में और कैसे किया जाता है इसका जाप.

कब है मासिक दुर्गाष्टमी 2024

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह की दुर्गाष्टमी इस बार 14 जुलाई रविवार के दिन मनाई जाएगी. इस दिन सुबह स्नान आदि के बाद मां का मंदिर साफ करें, चौकी पर एक लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें. हाथ में गंगाजल लें और व्रत का संकल्प लें. मां को फूल, लाल सिंदूर, अक्षत, मौली, रोली, लौंग, इलायची, इत्र आदि अर्पित करें.  मिठाई और फल अर्पित करें. पूजा के बाद मां दुर्गा की आरती अवश्य करें. दुर्गा चालीसा करें और मां की प्रतिमा के सामने बैठकर सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें.  

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र इस प्रकार है - शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥१॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥२॥
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥३॥
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥४॥

अथ मंत्र इस प्रकार है - अथ मन्त्रः॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।

आखिर में करें इस मंत्र का जाप- इति मन्त्रः॥

नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥१॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि॥२॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥३॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥४॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥५॥
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥६॥
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥७॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥८॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥
यस्तु कुञ्जिकाया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम्।
॥ॐ तत्सत्॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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