इस तारीख को है आषाढ़ पूर्णिमा, जानें क्‍यों मानी गई है सर्वश्रेष्‍ठ?
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इस तारीख को है आषाढ़ पूर्णिमा, जानें क्‍यों मानी गई है सर्वश्रेष्‍ठ?

Ashadha Purnima 2023 Date: आषाढ़ माह के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी तिथि से ही भगवान विष्‍णु योगनिद्रा में जाते हैं और इसकी पूर्णिमा के बाद सावन महीना शुरू होता है. लिहाजा आषाढ़ पूर्णिमा को बहुत महत्‍व दिया गया है.

इस तारीख को है आषाढ़ पूर्णिमा, जानें क्‍यों मानी गई है सर्वश्रेष्‍ठ?

Ashadha Purnima 2023: हिंदू धर्म में सभी पूर्णिमा और अमावस्‍या तिथि को बहुत महत्‍व दिया गया है. इनमें से कुछ को विशेष दर्जा दिया गया है. आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि भी ऐसी ही है, जो बहुत महत्‍वपूर्ण मानी गई है. आषाढ़ पूर्णिमा के दिन स्‍नान-दान करने के अलावा मां लक्ष्‍मी की पूजा करना बहुत लाभ देता है. माना जाता है कि पूर्णिमा तिथि पर ही देवी लक्ष्‍मी की उत्‍पत्ति हुई थी. आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है इसलिए इसे विशेष दर्जा दिया गया है. 

आषाढ़ पूर्णिमा 2023 तारीख, पूजा मुहूर्त 

गुरु पूर्णिमा आषाढ़ पूर्णिमा को मनाई जाती है. इस दिन गुरुओं की पूजा की जाती है, उनका आशीर्वाद लिया जाता है. इस साल आषाढ़ पूर्णिमा 3 जुलाई 2023, सोमवार को है. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि 02 जुलाई 2023 की रात 08 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 03 जुलाई 2023 की शाम 05 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा 3 जुलाई 2023 को मानी जाएगी. आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सत्‍यनारायण की पूजा करना बहुत लाभ देता है. साथ ही पूर्णिमा की रात माता लक्ष्‍मी और चंद्रदेव की पूजा करने से अपार धन मिलता है. 

स्नान मुहूर्त - 3 जुलाई की सुबह 04.31 से सुबह 05.15
सत्यनारायण पूजा मुहूर्त - 3 जुलाई की सुबह 09.15 - सुबह 10.54
चंद्रोदय समय - रात 07.19 
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त - 3 जुलाई 2023 की देर रात 12:11 से 12:55 बजे तक

गुरु पूर्णिमा पर करें गुरुओं की पूजा 

आषाढ़ पूर्णिमा पर भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी की पूजा करना खूब धन-संपत्ति दिलाता है. वहीं आषाढ़ पूर्णिमा के दिन दान जरूर करें. ऐसा करने से सारी बीमारियां दूर होती हैं. आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गाय की पूजा या सेवा जरूर करें, इससे धन लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं. वहीं गुरुओं की पूजा करने से कुंडली में गुरु दोष समाप्त होता है. आषाढ़ पूर्णिमा पर ही वेदों के रचियता गुरु वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, इसलिए इसे गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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