Mangalwar Upay: मंगलवार के दिन दुखभंजन हरेंगे आपके सारे कष्ट, पढ़ें ये स्तुति और आरती
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Mangalwar Upay: मंगलवार के दिन दुखभंजन हरेंगे आपके सारे कष्ट, पढ़ें ये स्तुति और आरती

Mangalwar Upay: मंगलवार के दिन राम भक्त हनुमान जी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन बजरंगबली की पूजा करने से वह अपने भक्तों का पाप हर लेते हैं. इसलिए इस दिन हनुमान जी की पूजा जरुर करें और अंत में आरती का पाठ जरूर करें.

Mangalwar Upay: मंगलवार के दिन दुखभंजन हरेंगे आपके सारे कष्ट, पढ़ें ये स्तुति और आरती

आज मंगलवार है. मंगलवार का दिन रामभक्त हनुमान को समर्पति माना जाता है. हुनमान जी को कई अन्य नाम से भी जाना जाता है जिसमें दुखभंजन, मारुति नंदन, पवनसुत, पवनपुत्र, बजरंगबली, अंजनीसुत और वायुपुत्र नाम चर्तित हैं. आज के दिन बजरंगबली की पूजा करने से दुखों का नाश होता है. मान्यता के मुताबिक बजरंगबली की पूजा करने से शनि की छाया नहीं पड़ती है और इंसान हमेशा प्रसन्न-चित जीवन बिताता है.

मान्यताओं के मुताबिक मंगलवार के दिन जो भी भक्त अंजनीसुत की पूजा करता है उसका कष्ट राम भक्त हनुमान हर लेते हैं. हनुमान जी को पूजा के दौरान सिंदूर जरूर अर्पित करें. क्योंकि सिंदूर मारुति नंदन को बहुत ही प्रिय है. इसके अलावा इस दिन बजरंगबली की पूजा के बाद आरती जरूर करें. अगर कोई भक्त पूजा के बाद आरती नहीं करता है तो वह अधूरा माना जाता है. तो भक्तों के लिए हम यहां आरती दे रहे हैं जिसे पढ़कर वायुपुत्र को प्रसन्न किया जा सकता है.

यहां पढ़ें पूरी आरती

॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥

॥ आरती ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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