ड्राइंगरूम के ये वास्‍तु दोष बनते हैं मान हानि का कारण, जान लें जरूरी नियम
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ड्राइंगरूम के ये वास्‍तु दोष बनते हैं मान हानि का कारण, जान लें जरूरी नियम

Vastu Tips for Drawing Room: घर का ड्राइंगरूम बहुत खास होता है, क्‍योंकि मेहमान यहीं आते हैं और आपके बारे में अपनी मन में छवि बनाते हैं. ड्राइंगरूम में वास्‍तु दोष जीवन में कई समस्‍याओं का कारण बन सकता है. 

ड्राइंगरूम के ये वास्‍तु दोष बनते हैं मान हानि का कारण, जान लें जरूरी नियम

Drawing Room Vastu: घर का स्वागत कक्ष कितना ही सुन्दर, सुसज्जित आकर्षित क्यों न हो पर यदि वह उचित स्थान पर नहीं है, तो वह अपनी उपयोगिता में खरा नहीं उतरेगा, बल्कि कई अवरोध एवं असुविधाओं का अहसास होगा. स्वागत कक्ष की अहम जगह होती है, क्योंकि वह मेहमान को घर के मालिक के व्यक्तित्व से परिचय कराता है. स्वागत कक्ष कहां और कैसा होना चाहिए इस लेख के माध्यम से जानने का प्रयास करते हैं-

ठीक पूरब में न हो

स्वागत कक्ष के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि शून्य अंश पूरब यानी पूर्ण पूरब दिशा पर नहीं होना चाहिए. यह स्थान व्यक्तिगत रूप से घर के मालिक के लिए महत्वपूर्ण होता है. यहां के स्वामी इंद्र हैं, जो भू स्वामी को ऐश्वर्य देता है. ऐसे स्थान पर मेहमानों को नहीं बैठाना चाहिए.

वायव्य में कक्ष सबसे उत्तम

सबसे अच्छा स्वागत कक्ष वायव्य (उत्तर-पश्चिम) और उत्तर दिशा के मध्य होता है. व्यावहारिक रूप से यह तभी संभव है जब भवन का मुख्य द्वार उत्तर या पश्चिम में हो. पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार होने पर स्वागत कक्ष पश्चिम और वायव्य के मध्य बनाया जा सकता है. 

नैऋत्य में कक्ष अपमानकारी

स्वागत कक्ष नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) या उसके अगल-बगल नहीं होना चाहिए. यहां का स्वागत कक्ष अपमानकारी और अमंगल का सूचक है. यहां पर बने कक्ष में घर के मालिक का अपमान करने और हानि पहुंचाने वाले लोग अधिक आते हैं.

औधोगिक प्रतिष्ठानों में कक्ष

औधोगिक या व्यापारिक प्रतिष्ठानों में स्वागत कक्ष पूरब और ईशान के मध्य या वायव्य और उत्तर के बीच बनाना अति उत्तम है. वास्तु शास्त्र में नैऋत्य कोण में शस्त्रागार बनाने का प्रावधान है. यदि शस्त्र संबंधी या सुरक्षा उपकरणों से संबंधित कारोबार है तो स्वागत कक्ष नैऋत्य कोण में बनाया जा सकता है.

मुख्य द्वार के सामने कक्ष का द्वार न हो

स्वागत कक्ष का द्वार मुख्य द्वार के ठीक सामने नहीं होना चाहिए. इसके द्वार को मुख्य द्वार से कुछ हट कर बनाना चाहिए अन्यथा स्वागत कक्ष में भय और अशांति व्याप्त होगी तथा असहजता का एहसास होता है.

वायव्य-पश्चिम के बीच का कक्ष

यदि आपका स्वागत कक्ष वायव्य और पश्चिम के बीच में है, यानी आधा वायव्य और आधा पश्चिम में हो तो यहां पर कभी भी मांगलिक कार्यों को नहीं करना चाहिए. सिर्फ आगंतुकों के आने-जाने और बैठने के लिए इस स्थान का प्रयोग किया जा सकता है.

गोल और अर्ध्द गोल कक्ष ठीक नहीं

स्वागत कक्ष को गोल या अर्ध्द गोलाकार में बनवाना बिल्कुल गलत है. स्वागत कक्ष की दीवारें समकोण में होनी चाहिए, साथ ही पांच या छह कोने के स्वागत कक्ष अच्छे नहीं माने जाते हैं.

आवाज गूँजना होता है घातक 

बहुकोणीय स्वागत कक्ष के दुष्प्रभाव को खुद भी परखा जा सकता है. इसके लिए एक चौकोर समकोण वाले खाली कमरे को बंद करके जोर से चिल्लाएं और अपनी प्रतिध्वनि सुनें यह बहुत धीमी होगी. किंतु आपकी जैसी आवाज है वैसी ही प्रतिध्वनि सुनाई देगी. इसका अर्थ यह है कि ऊर्जा का वाइब्रेशन ठीक है. वहीं आप गोल, अर्ध्दगोल, षटकोणीय कक्ष को खाली करके बंद कमरे में चिल्लाएं तो आपको अपनी आवाज काफी तेज सुनाई देगी. आपको यह भी आभास होगा कि चिल्लाने वाला मैं था और प्रतिध्वनि किसी और की है. इसका अर्थ है कि वहां ऊर्जा का क्षेत्र उचित नहीं है.

भूमि तल से नीचे का कक्ष वर्जित

भूमि के तल के नीचे स्वागत कक्ष  का निर्माण गलत होने के साथ समस्याओं को पैदा करने वाला होता है. आने वाले का पैर भूमि के नीचे जाता है, जो आपके मन को दूषित करने के साथ भवन का भार संतुलन (वेट बैलेंस) को भी बिगाड़ता है. 

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