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नई दिल्ली: ज्योतिष का न केवल लोगों पर बल्कि देश-दुनिया, सरकारों, मौसम आदि पर भी असर डालता है. यदि ग्रह दशाएं विपरीत हों तो देश में आंदोलन, अशांति, हिंसा होती है. वहीं अच्छी हों देश की अर्थव्यवस्था में तरक्की होती है, अच्छी योजनाएं आती हैं. एक बार फिर ग्रह-दशाओं का साफ असर देश की राजनीति में देखने का मिला है. हाल ही में हमने नतीजा प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने के तौर पर देखा. ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के मुताबित इस बड़ी राजनीतिक घटना के पीछे गुरु ग्रह का राशि परिवर्तन वजह बना.
जैसे ही गुरु ग्रह ने मकर राशि से निकलकर शनि के स्वामित्व वाली कुंभ राशि में प्रवेश किया, प्रधान मंत्री ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी. लेकिन यह घोषणा किसान आंदोलन को खत्म करा देगी, ऐसा समझना भूल है. चूंकि गुरु शनि की राशि में 12 अप्रैल 2022 तक विराजमान रहेंगे. ऐसे में तक तक देश में आंदोलन, कोरोना का प्रभाव बरकरार रहेगा.
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भले ही कोरोना वायरस अभी काफी शांत महसूस हो रहा है लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गुरु और शनि की जुगलबंदी ने ही जमकर कोहराम मचाया था. अभी भी ये दोनों ग्रह 12 अप्रैल 2022 तक सीधे या अप्रत्यक्ष रुप से कोहराम मचाते रहेंगे. दुनिया में तो कोरोना ने एक बार फिर अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है और यह भारत में भी कभी भी सक्रिय हो सकता है. वैसे भी इस दौरान बेशक कोरोना की तीसरी लहर से बचा रहा लेकिन डेंगू के डंक से नहीं बच पाए. इसी तरह किसान आंदोलन में भी हाथी निकल गया और न्यूनतम मूल्य के मामले में पूंछ बाकी रहने जैसी स्थिति बनी हुई है. ज्योतिष के मुताबिक यह मुद्दा अगले अप्रैल तक जारी रह सकता है, जब तक कि गुरु अपनी ही राशि मीन में नहीं आ जाते हैं.
नया संवत 2079, जो कि 2 अप्रैल 2022 से शुरू होने जा रहा है, उसमें भी पंचाग के अनुसार राजा शनि होंगे और मंत्री गुरु रहेंगे यानी इनकी जुगलबंदी चुनावों में भी नए समीकरण बनाकर सरकारें बनवाएगी. इस दैारान देश की राजनीति में कई अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिल सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)