इतिहास में तीसरी बार वाहन से जायेगी बाबा केदारनाथ की डोली
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इतिहास में तीसरी बार वाहन से जायेगी बाबा केदारनाथ की डोली

इस बार डोली वाहन से सीधे अपने अंतिम पड़ाव गौरीकुण्ड पहुंचेगी और दूसरे दिन गौरीकुण्ड से केदारनाथ के बीच प्रवास करने के बाद 28 को केदारनाथ पहुंचेगी.

केदारनाथ धाम का फाइल फोटो।

रुद्रप्रयाग: ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ (Kedarnath) के कपाट 29 अप्रैल को खोले जा रहे हैं और डोली 26 अप्रैल को शीतकालीन गद्दीस्थल से रवाना होगी. जो वाहन के जरिये सीधे गौरीकुण्ड जायेगी. जहां पिछले वर्षो तक डोली का प्रथम रात्रि प्रवास फाटा में हुआ करता था. वहीं इस बार डोली वाहन से सीधे अपने अंतिम पड़ाव गौरीकुण्ड पहुंचेगी और दूसरे दिन गौरीकुण्ड से केदारनाथ के बीच प्रवास करने के बाद 28 को केदारनाथ पहुंचेगी.

  1. इतिहास में तीसरी बार बाहन से जाएगी केदारनाथ की डोली
  2. कोरोना वायरस के मद्देनजर लिया गया निर्णय
  3.  इससे पहले 1977 में आपातकरल के दौरान ऐसा किया गया था

बताते चलें कि कोरोना वैश्विक महामारी के कारण पूरे देश में लॉकडाउन जारी है, जिस कारण मठ मंदिरों में दर्शनों पर रोक लगाई गई है. सरकार की ओर से नियम लागू किए गये हैं कि मठ मंदिरों में पुजारी पूजा अर्चना करेंगे. लेकिन कोई भी श्रद्धालु दर्शन नहीं करेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से तीन मई तक लॉकडाउन घोषित किया गया है, जबकि 29 अप्रैल को बाबा केदार के कपाट खुलने हैं. ऐसे में प्रशासन ने हकूकधारी, रॉवल, वेदपाठी की रायशुमारी के बाद इस बार भगवान केदार की डोली को सीधे वाहन के जरिये यात्रा के अंतिम पड़ाव गौरीकुण्ड ले जाने का निर्णय लिया है. 

पूर्व वर्षों में जहां भगवान केदारनाथ की डोली के अपने शीतकालीन गद्दीस्थल से हिमालय रवानगी पर ओमकारेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त उमड़ पड़ते थे. वहीं इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा. डोली को बाहर निकालने पर मुख्य लोग ही मौजूद रहेंगे. जबकि डोली के साथ 16 लोग ही जा पायेंगे. इस बार डोली यात्रा पड़ावों पर नहीं रूकेगी. पिछले वर्षों तक डोली पैदल चलकर प्रथम रात्रि प्रवास के लिए फाटा रामुपर पहुंचती. वहीं इस बार डोली को वाहन के जरिये सीधे गौरीकुण्ड पहुंचाया जायेगा. इससे यात्रा पड़ावों पर डोली के दर्शनों को उमड़ने वाली भीड़ भी नहीं रहेगी तो सरकार के सोशल डिस्टेसिंग का पालन भी हो सकेगा. 

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डोली पहले दिन गौरीकुण्ड पहुंचेगी, जहां पर गौरामाई का मंदिर है. गौरामाई मंदिर में रात्रि प्रवास के बाद दूसरे दिने कैलाश को रवाना होगी और इस बार डोली गौरीकुण्ड से केदारनाथ 18 किमी की पैदल चढ़ाई के बीच लिनचैली स्थान पर रात्रि प्रवास करेगी और 28 को डोली अपने हिमालय पहुंच जायेगी. 29 को सुबह छः बजकर 10 मिनट पर बाबा केदार के कपाट खोल दिये जायेंगे.

यह तीसरी बार है जब भगवान केदारनाथ की डोली सीधे वाहन के जरिये जायेगी और पड़ावों पर अपने भक्तों को आशीष नहीं देगी. इससे पहले 1977 में आपातकाल के समय ऐसा निर्णय लिया गया था. जब भगवान केदारनाथ की डोली को शीतकालीन गद्दीस्थल से बाहर निकालकर सीधे गौरीकुण्ड ले जाया गया और वापसी में भी डोली को गौरीकुण्ड से ऊखीमठ वाहन में लाया गया. केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती ने बताया कि भगवान केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को खोले जा रहे हैं. 

शीतकालीन गद्दीस्थल में निर्णय लिया गया कि महाशिवरात्रि पर्व पर तय हुई तिथि पर ही भगवान केदार के कपाट खोले जायेंगे. साथ ही देश में कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन होने से यह भी निर्णय लिया गया है कि डोली शीतकालीन गद्दीस्थल से वाहन के जरिये गौरीकुण्ड पहुंचेगी. उन्होंने बताया कि 1977 में दो बार ऐसे हालात पैदा हुए कि डोली को वाहन से ले जाना और लाना पड़ा था. इसके बाद तत्कालीन विधायक प्रताप सिंह पुष्पवाण ने इसका विरोध किया और डोली को पुनः पैदल ले जाने की परम्परा शुरू की गई है. यह तीसरी बार है जब केदार बाबाा की डोली वाहन से जायेगी.

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