Chaitra Navratri 2024: 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ, मनोकामना पूर्ति और संकटों से छुटकारा पाने के लिए करें ये उपाय
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Chaitra Navratri 2024: 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ, मनोकामना पूर्ति और संकटों से छुटकारा पाने के लिए करें ये उपाय

Chaitra Navratri 2024 Upay: अप्रैल माह के 9 तारीख से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्र का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन से विक्रम संवत का नया वर्ष प्रारंभ होता है. नवरात्र में रामचरितमानस के पाठ से देवी तो प्रसन्न होती ही है, इसके साथ ही राम की कथा सुनकर हनुमान जी और महादेव भी प्रसन्न होते हैं. 

Chaitra Navratri 2024: 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ, मनोकामना पूर्ति और संकटों से छुटकारा पाने के लिए करें ये उपाय

Chaitra Navratri 2024 Date: अप्रैल माह के 9 तारीख से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्र का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन से विक्रम संवत का नया वर्ष प्रारंभ होता है. भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्री राम का जन्म भी त्रेता युग में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था इसलिए चैत्र नवरात्र में श्री राम चरित मानस का नवाह्नपारायण पाठ अर्थात रामायण में नौ विश्राम दिए गए हैं और उसी विश्राम के हिसाब से नौ दिनों में मानस का पाठ पूरा करने से व्यक्ति की परेशानी दूर और मनोकामना सिद्ध होती है. नवरात्र में रामचरितमानस के पाठ से देवी तो प्रसन्न होती ही है, इसके साथ ही राम की कथा सुनकर हनुमान जी और महादेव भी प्रसन्न होते हैं. 

करें हनुमान जी का भी ध्यान

नवरात्र में ऊर्जावान रहे, घर का वातावरण शुद्ध रखें, सकारात्मक ऊर्जा संचार के लिए घर का वातावरण भक्तिमय कर रखें. इसके लिए अन्य पूजा पाठ करने के साथ ही रामचरितमानस का पाठ भी करें. पाठ की शुरुआत से पहले घी का दीपक जरूर जलाएं, एक बात का विशेष ध्यान रखना है कि जब तक पाठ पूरा न हो जाएं तब तक दीपक शीतल न होने पाए. अब भगवान श्री राम का ध्यान कर उनसे अपने अभीष्ट को पूरा करने के लिए प्रार्थना करें, प्रभु श्री राम से निवेदन करने से आपका कार्य श्री राम का कार्य हो जाएगा और हनुमान जी से प्रार्थना करने से वे उस कार्य को करने के लिए तत्काल तत्पर हो जाएंगे. उनके लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं है. 

संकट निवारण है यह सम्पुट

आप नौ दिनों के पाठ में यदि किसी संकट से मुक्ति चाहते हैं तो “दीन दयाल बिरिदु संभारी, हरहु नाथ मम संकट भारी” सम्पुट का प्रयोग प्रत्येक दोहे के प्रारंभ और अंत में करें तथा यदि किसी कामना की पूर्ति चाहते हैं तो “जे सकाम नर सुनहि जे गावहिं, सुख संपत्ति नाना बिधि पावहिं”  सम्पुट का इस्तेमाल करें. 

 

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पाठ के बाद करें हवन

नवाह्नपारायण पाठ पूरा होने के बाद हवन करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं. यदि किन्हीं कारणों से ऐसा संभव नहीं है, तो घर के पास किसी हनुमान जी के मंदिर में भोग प्रसाद चढ़ा कर लोगों के बीच वितरण करें और स्वयं भी ग्रहण करें.  

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