Chaitra Navratri Day 4: ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी हैं मां कुष्मांडा, नवरात्रि के चौथे दिन ऐसे करें उनकी पूजा
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Chaitra Navratri Day 4: ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी हैं मां कुष्मांडा, नवरात्रि के चौथे दिन ऐसे करें उनकी पूजा

चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इन्होंने पूरे ब्रह्मांड की रचना की थी. देवी मां को प्रसन्न करना आसान है बस आपको सच्चे मन से मां की पूजा करनी है. पूजा विधि क्या है, इस बारे में यहां जानें.

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा

नई दिल्ली: चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा (Maa kushmanda) की पूजा की जाती है. अपने उदर यानी पेट से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण ही इन्हें कुष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा ने ही इस ब्रह्मांड की रचना की थी (Created the world) जिसकी वजह से इन्हें आदिशक्ति के रूप में भी जाना जाता है. आज नवरात्रि के चौथे दिन के साथ ही शुक्रवार भी है जो देवी लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) का दिन माना जाता है. ऐसे में आज अगर आप माता कुष्मांडा की पूजा के साथ ही महालक्ष्मी मंत्र (Mahalakshmi mantra) का भी जाप करें तो पैसों से जुड़ी सभी दिक्कतें दूर हो जाएंगी और धन प्राप्ति के रास्ते खुल सकते हैं.

  1. चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की पूजा
  2. अष्टभुजा देवी और आदिशक्ति के नाम से भी जानी जाती हैं
  3. अपनी मंद-मंद से मुस्कान से की थी ब्रह्मांड की रचना

कैसा है मां कुष्मांडा का स्वरूप?

ऐसी मान्यता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब देवी दुर्गा (Goddess durga) के कुष्मांडा स्वरूप ने भी मंद-मंद मुस्कुराते हुए इस ब्रह्मांड यानी सृष्टि की रचना की थी. ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में जो तेज मौजूद है वह देवी कुष्मांडा की ही छाया है. मां की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी (Ashtbhuja devi) के नाम से भी जाना जाता है. इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृत कलश, चक्र और गदा है. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है. देवी कुष्मांडा का वाहन सिंह है.

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ऐसे करें देवी कुष्मांडा की पूजा

चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कुष्मांडा का स्मरण करें. धूप, दीप, अक्षत, लाल फूल, सफेद कुम्हड़ा यानी कद्दू, फल, सूखे मेवे और श्रृंगार का सामान देवी मां को अर्पित करें.  मां कुष्मांडा को हलवा और दही का भोग लगाएं. पूजा के अंत में मां कुष्मांडा की आरती करें, मंत्रों का जाप करें और अपनी मनोकामना उनसे बताएं. ऐसी मान्यता है कि देवी कुष्मांडा जल्दी प्रसन्न होती हैं. साधक को केवल सच्चे मन से देवी को याद करना होता है.

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धन प्राप्ति के उपाय

आज शुक्रवार का दिन है इसलिए माता कुष्मांडा की पूजा के साथ ही अगर देवी महालक्ष्मी के मंत्रों का भी जाप (Mahalakshmi mantra jaap) किया जाए तो आपकी पैसों से जुड़ी सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं. यहां बताए जा रहे मंत्र का 108 बार जाप करने से लाभ होगा:
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद
श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः 

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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