Choti Diwali 2024: दिवाली से पहले क्यों मनाते हैं छोटी दिवाली? जानिए कैसे जुड़े हैं भगवान कृष्ण से इस खास दिन के तार?
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Choti Diwali 2024: दिवाली से पहले क्यों मनाते हैं छोटी दिवाली? जानिए कैसे जुड़े हैं भगवान कृष्ण से इस खास दिन के तार?

Choti Diwali 2024 कार्तिक मास के चतुर्दशी तिथि को नरक चौदस मनाया जाता है, जिसको छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन घरों के बाहर गोबर का एक दीपक जलाने की प्रथा है. आइए जानते हैं इसके पीछे की खास वजह

Choti Diwali 2024: दिवाली से पहले क्यों मनाते हैं छोटी दिवाली? जानिए कैसे जुड़े हैं भगवान कृष्ण से इस खास दिन के तार?

Narak Chaturdashi 2024: इस साल नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीपावली का त्यौहार 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म के अनुसार ये पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इसे छोटी दिवाली, नरक चतुर्दशी और काली चतु्र्थी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन घरों के बाहर गोबर का दिया जलाने का रिवाज है. आइए जानते हैं कि बड़ी दिवाली से पहले छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है, साथ ही इसके कौन से तार भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े हुए हैं?

 

पौराणिक कथा के अनुसार

हिंदु ग्रंथों के अनुसार, एक बार भौमासुर नामक राक्षस ने पूरी धरती पर अपने अत्याचारों से हाहाकार मचाए रखा था. एक बार उसने हजारों कन्याओं को बंदी बना लिया, जिससे तीनों लोकों में हड़कंप मच गया. चूंकि उस राक्षस का वध किसी स्त्री के हाथों ही संभव था. तभी स्वर्गलोक से घबराए हुए देवतागण भगवान कृष्ण की शरण में पहुंचे. इस पर श्रीकृष्ण ने इस राक्षस से मुक्ति का आश्वासन दिया.

 

श्री कृष्ण का युद्ध

भौमासुर के वध के लिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता मांगी. जिसके बाद सत्यभामा और श्रीकृष्ण गरुण पर सवार होकर भौमासुर के संघार के लिए चल दिए. भयानक युद्ध के बाद सारथी सत्यभामा की मदद से श्रीकृष्ण भौमासुर का वध कर सकें. बता दें कि भौमासुर राक्षस को नरकासुर भी कहा जाता है.

 

क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली?

नरकासुर के वध के बाद श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने 16100 कन्याओं को उस राक्षस के चंगुल से बचा लिया. जिसके बाद उन कन्याओं को श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नियों के रूप में स्वीकार किया. इस महान विजय के अवसर पर छोटी दिवाली मनाई जाती है. इस तिथि को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. छोटी दिवाली होने के कारण सिर्फ एक दिया जलाकर ही जश्न मनाया जाता है.

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