Dussehra 2021: कब है विजय दशमी? जानें तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
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Dussehra 2021: कब है विजय दशमी? जानें तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त

दशहरे के दिन पूजन को लेकर देश के विभिन्न इलाकों में अलग-अलग तरह की परंपराएं है. शस्त्र का प्रयोग करने वालों के लिए इस दिन शस्त्र पूजन का बड़ा महत्व है. वहीं कई लोग इस दिन अपनी पुस्तकों, वाहन इत्यादि की भी पूजा करते हैं.

 

15 अक्टूबर को है इस साल दशहरा (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में दशहरे का खास महत्व है. फिलहाल पितृों को समर्पित श्राद्ध पक्ष शुरू हो चुका है. इसके समापन के बाद ही नौ देवियों की आराधना के दिन शुरू हो जाएंगे. शारदीय नवरात्रि का पर्व देश के सभी राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि हर साल आश्विन महीने में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से आरंभ होती हैं. इसके बाद अगले 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है फिर इसके बाद दशहरे का त्योहार मनाया जाता है.

  1. भारत में कई तरीकों से मनाया जाता है दशहरा
  2. 15 अक्टूबर को है इस साल दशहरा
  3. दशहरा पूजन की हैं कई विधियां

इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने लंका नरेश रावण पर विजय प्राप्त की थी, इसलिए इस दिन को विजयादशमी कहा जाता है. इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है. दशहरे पर बुराई के प्रतीक रावण के पुतले के दहन की परंपरा बहुत पुरानी है. साथ ही इस दिन शस्त्र पूजन का भी बड़ा महत्व है.

कब है दशहरा और क्या है शुभ मुहूर्त?

इस साल शारदीय नवरात्रि का शुरुआत 7 अक्टूबर दिन गुरुवार से हो रही है और दशहरा 15 अक्टूबर को पड़ रहा है. दशमी की तिथि 14 अक्टूबर को शाम 6.52 पर आरंभ हो जाएगी, जो दूसरे दिन शाम 6.02 तक रहेगी. इस दौरान दोपहर 2.02 से 2.48 बजे का समय पूजन का शुभ समय माना गया है.

दशहरा मनाने की कई विधियां

भारत विविधताओं वाला देश है और दशहरे के दिन भी पूजन को लेकर देश के विभिन्न इलाकों और समुदायों में अलग-अलग तरह की परंपराएं है. शस्त्र का प्रयोग करने वालों के लिए इस दिन शस्त्र पूजन का बड़ा महत्व है. वहीं कई लोग इस दिन अपनी पुस्तकों, वाहन इत्यादि की भी पूजा करते हैं. इस दिन किसी नए काम को शुरू करना भी सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है. कई लोग इस दिन को नए सामान को खरीदने के लिए भी शुभ मानते हैं. कई जगह इस दिन रावण दहन के बाद घर लौटने पर महिलाएं पुरुषों की आरती उतारतीं है और टीका करती हैं.

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क्या है दशहरे की पूजन विधि?

  • सुबह जल्दी उठकर, नहा-धोकर साफ कपड़े पहने जाते हैं
  • गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाई जाती हैं.
  • गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाई जाती हैं.
  • एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखे जाते हैं.
  • प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित की जाती है.
  • यदि बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो वहां भी ये सामग्री जरूर अर्पित करें.
  • अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा दें. गरीबों को भोजन कराएं.
  • रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती जिसे सोना पत्ती भी कहा जाता है, उसे अपने परिजनों को दें.
  • बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद प्राप्त करें.

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