Shiv Mandir: इस प्राचीन शिव मंदिर के आगे अंग्रेज भी हुए थे नतमस्तक, रातोंरात खुद बदल गई थी मंदिर के गेट की दिशा
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Shiv Mandir: इस प्राचीन शिव मंदिर के आगे अंग्रेज भी हुए थे नतमस्तक, रातोंरात खुद बदल गई थी मंदिर के गेट की दिशा

Shiv Mandir Story: गाजीपुर के देवकली गांव में स्थित प्राचीन शिव मंदिर के चमत्कार देखकर अंग्रेज भी नतमस्तक हो गए थे. मंदिर में भगवान शिव के दर्शन कर मांगी हर मुराद पूरी होती है. 

 

shiv mandir

Ghazipur Shiv Mandir: देशभर में भगवान शिव के हजारों मंदिर और शिवलाय हैं, जहां दूर-दूर से लोग भगवान शिव के दर्शन को आते हैं. ऐसा ही एक शिवालय गाजीपु के सेवराई तहसील के भदौरा ब्लाक के देवकली गांव में स्थित है. यहां स्थित एक प्राचीन मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती हैं. बताया जाता है कि इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग है. ये अंग्रेजों के जमाने का मंदिर है.

मंदिर को लेकर कई पौराणिक कहानियां बताई गई हैं. श्रावण मास में दूर-दूर से यहां भक्तों की लंबी कतार लगती है. यहां भगवान की झलक के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.  सावन माह में मंदिर समिति की तरफ से यहां पर जलाभिषेक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है.  

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रातोंरात हुआ था ये चमत्कार

बताया जाता है कि अंग्रेजों के शासन काल में मंदिर के पास से ही रेलवे लाइन बिछाई जा रही थी. गांव के लोगों ने इस रेलवे लाइन का विरोध किया. रेलवे लाइन को किसी दूसरी तरफ से लेजाने को रेलकर्मी तैयार नहीं थे.  रेलकर्मियों ने कहा कि अगर शिव में शक्ति है, तो मंदिर के कपाट किसी दूसरी दिशा में खुल जाएं. बताया जाता है कि उसी रात भगवान शिव ने अपना चमत्कार दिखाया और मंदिर की दीवार पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा की तरफ खुल गई.  

हैरान रह गए अंग्रेज

मंदिर के कपटा तभी पश्चिम दिशा में हो गए. मंदिर की ये घटना से अंग्रेज भी आश्चर्यचकित रह गए और उन्होंने भी मंदिर के आगे माथा टेक दिया. बाद में अंग्रेज अधिकारियों के आदेश पर रेलवे लाइन का रास्ता बदल दिया गया. रेलवे लाइन को भी मंदिर के पूर्व दिशा की तरफ मोड़ दिया गया. 

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होती है जलाभिषेक प्रतियोगिता

देवकली गांव में स्थित इस प्राचीन शिव मंदिर में मंदर समिति की ओर से जलाभिषेक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. इस दौरान श्रद्धालुओं की ओर से गहमर के नरवा गंगा घाट से स्नान के बाद जल लिया जाता है. और सबसे पहले जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करने की परंपरा है. प्रथम, द्वितीय, तृतीय के क्रम में श्रद्धालुओं का चयन कर उन्हें पुरस्कृत किया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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