आ रही है गुरु पूर्णिमा, बनेगा कई शुभ योगों का संयोग, जान लें सही तारीख और मुहूर्त
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आ रही है गुरु पूर्णिमा, बनेगा कई शुभ योगों का संयोग, जान लें सही तारीख और मुहूर्त

Guru Purnima 2024: आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा पर्व मनाते हैं. इस साल गुरु पूर्णिमा की तारीख को लेकर इस बार काफी कंफ्यूजन बना हुआ है. जानिए गुरु पूर्णिमा की सही तारीख और पूजा मुहूर्त क्‍या है. 

आ रही है गुरु पूर्णिमा, बनेगा कई शुभ योगों का संयोग, जान लें सही तारीख और मुहूर्त

गुरु पूर्णिमा 2024: हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा को बहुत महत्‍व है. इस दिन शिष्‍य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं. गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है. आषाढ़ पूर्णिमा तिथि महर्षि वेद व्‍यास को ही समर्पित है. वेद व्‍यास ही महाभारत के रचयिता हैं. साथ ही उन्‍होंने ही चार वेदों की रचना की है. उन्‍हें ही संसार का पहला गुरु माना गया है. गुरु पूर्णिमा का दिन शिष्‍यों को दीक्षा देने के लिए भी विशेष होता है. 

गुरु पूर्णिमा का महत्‍व 

गुरु पूर्णिमा का दिन गुरुओं की पूजा करने के लिए विशेष होता है. साथ ही गुरु पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है. मान्‍यता है कि गुरु पूर्णिमा का व्रत रखने, पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है. उसका ज्ञान बढ़ता है. 

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गुरु पूर्णिमा की तारीख और पूजा मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई को शाम 6 बजे से होगी और इसका समापन 21 जुलाई को दोपहर 3 बजकर 47 मिनट पर होगा. चूंकि पूर्णिमा का व्रत चंद्रोदय व्यापिनी पूर्णिमा तिथि को ही रखा रखा जाता है. इसलिए पूर्णिमा का व्रत 20 जुलाई को रखा जाएगा. लेकिन पूर्णिमा का स्‍नान और दान करने के लिए 21 जुलाई का दिन उचित रहेगा. साथ ही गुरु पूर्णिमा की पूजा 20 और 21 जुलाई दोनों को की जा सकेगी. 

गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि

गुरु पूर्णिमा की सुबह जल्दी उठकर और स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें. फिर पूर्णिमा व्रत का संकल्‍प लें. इसके बाद पूजा घर की अच्‍छी तरह सफाई करें. उसे गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करें. फिर चौकी पर पीला या लाल वस्‍त्र बिछाकर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और वेद व्यास जी की प्रतिमा स्थापित करें. उनका तिलक करें. पंचामृत अर्पित करें. तुलसी दल अर्पित करें. भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी और वेद व्यास जी का पूजन भी करें. धूप-दीप करें. इस दिन घी का दीपक जलाएं. मिठाई, फल और खीर का भोग लगाएं. गुरु चालीसा का पाठ करें. साथ ही गुरु पूर्णिमा व्रत कथा का पाठ करें. अंत में भगवान सत्यनारायण की आरती करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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