हरतालिका तीज 2020: जानें पूजा का समय, महत्व और विधि
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हरतालिका तीज 2020: जानें पूजा का समय, महत्व और विधि

हिंदू मान्यता में हरितालिका तीज (Hartalika Teej) का बड़ा महत्व माना गया है. जो सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती है. इस त्यौहार को झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: हिंदू मान्यता में हरितालिका तीज (Hartalika Teej) का बड़ा महत्व माना गया है. जो सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती है. इस त्यौहार को झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है. यह त्यौहार मां पार्वती को समर्पित है. हरितालिका तीज के दिन गौरी-शंकर की पूजा की जाती है. इस दिन गौरी-शंकर की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा की जाती है. 

  1. हरितालिका तीज 2020 का जानें महत्व
  2. हरितालिका तीज का शुभ मुहूर्त
  3. हरितालिका तीज की कथा

देश में कई तरह की तीज मनाई जाती है- हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज. मां पार्वती को सुहाग का सारा सामान भी अर्पित किया जाता है, इसके अलावा रात में भजन-कीर्तन भी किया जाता है. इसके साथ ही जागरण कर तीन बार आरती की जाती है. हरितालिका तीज के दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है, इस दिन महिलाएं हरी चूड़ियां और साड़ी पहनती हैं. यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है.

पूजा का समय
प्रात: काल पूजा मुहूर्त : सुबह 5.53 से 8.29 सुबह
प्रदोषकाल हरतालिका पूजा मुहूर्त : शाम 6.54 से 9.06 शाम तक
तृतीया तिथि शुरू : 2.13  सुबह से 21 अगस्त तक
तृतीया तिथि खत्म : 11.02 शाम, 21 अगस्त तक 

हिन्दू मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने सर्वप्रथम यह व्रत रखा था और भगवान शिव को प्राप्त किया था. दरअसल शिवजी का रहन-सहन और उनकी वेशभूषा राजा हिमाचल को बिल्कुल भी पसंद नहीं था. राजा हिमाचल ने इस बात की चर्चा नारद जी से की. इस पर उन्होंने उमा का विवाह भगवान विष्णु से करने की सलाह दी. वहीं, माता पार्वती भगवान शिव को पहले ही अपने मन में अपना पति मान लिया था. ऐसे में उन्होंने विष्णु जी से विवाह करने से इंकार कर दिया. फिर माता पार्वती की सखियों ने इस विवाह को रोकने की योजना बनाई.माता पार्वती की सखियां उनका अपहरण करते जंगल ले गईं जिससे उनका विवाह विष्णुजी से न हो पाए. सखियों के माता पार्वती का हरण करने पर ही इस व्रत का हरतालिका तीज पड़ गया.शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने जंगल में तप किया और फिर शिवजी ने उन्हें दर्शन दिए और माता पार्वती को उन्होंने पत्नी के रूप में अपना लिया.

हरतालिका तीज का व्रत भाग्य में वृद्धि करने वाला व्रत माना गया है. इस व्रत को रखने से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है. जिस स्त्री के दांपत्य जीवन में कोई बाधा आ रही है तो यह व्रत विशेष फलदायी माना गया है. हरतालिका तीज का व्रत जीवन में ऊर्जा लाता है और नकारात्मक विचारों का नाश करता है.

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