Surya Arghya on Sunday: सूर्य देव का प्रसन्न करने के लिए रविवार का दिन सर्वश्रेष्ठ होता है. इस बार छठ पूजा पर गजब का संयोग बना है. आज 30 अक्टूबर, रविवार को ही अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.
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Chhath Sandhya Arghya 2022: छठ पूजा महापर्व सूर्य देव को प्रसन्न करने और जीवन में सुख, संपत्ति, सेहत, संतान का सुखद भविष्य पाने का सबसे अच्छा मौका होता है. लेकिन छठ पर्व पर केवल सूर्य देव की ही पूजा नहीं की जाती है, बल्कि यह पर्व सूर्य देव की बहन और 2 पत्नियों की पूजा करके उन्हें प्रसन्न करने का होता है. इन देवियों के प्रसन्न हुए बिना छठ पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है. आइए जानते हैं 4 दिन के छठ पर्व में सूर्य के अलावा उनकी बहन और पत्नी की पूजा का क्या महत्व है.
सूर्य की बहन हैं छठी मइया
छठ पर्व पर सूर्य देव के साथ-साथ छठी मइया की पूजा का बड़ा महत्व है. ये छठी मइया, सूर्य देव की बहन देवसेना हैं. इसके अलावा छठ पर्व पर सूर्य देव की दोनों पत्नियों की भी आराधना करनी चाहिए. सूर्य देव की पत्नियां उषा और प्रत्यूषा को प्रसन्न करने से छठ पूजा का पूरा फल मिलता है. मान्यता है कि पूरे संसार को ऊर्जा देने वाले सूर्य देव की शक्तियों का मुख्य स्रोत उनकी पत्नी ऊषा और प्रत्यूषा ही हैं. इसलिए छठ में सूर्य के साथ-साथ दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना भी होती है. छठ पर्व के तीसरे दिन शाम को सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा और आखिरी दिन सुबह सूर्य की पहली किरण ऊषा का अर्घ्य देकर ही छठ पर्व संपन्न होता है. वहीं छठ पर्व पर सूर्य को अर्घ्य देने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है.
36 घंटे का करना होता है उपवास
छठ पूजा के लिए रखा जाने वाला व्रत बहुत कठिन होता है. इसके लिए व्रती महिलाएं कठिन तप करती हैं, 36 घंटे का उपवास रखती हैं. छठ व्रत रखने वाली महिलाओं को परवैतिन कहा जाता है. इस उत्सव में शामिल होने के लिए लोग नए कपड़े पहनते हैं. वहीं व्रती को ऐसे कपड़े पहनने होते हैं जिनमें सिलाई न की गई हो.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)