Igas Diwali: इगास दिवाली का पर्व प्रभु राम को है समर्पित, अनोखी है इस पर्व की परंपरा
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Igas Diwali: इगास दिवाली का पर्व प्रभु राम को है समर्पित, अनोखी है इस पर्व की परंपरा

Igas Diwali: इगास दिवाली मनाने की परंपरा बहुत ही अलग है. इस दिन लोग एक साथ जमा होकर इस पर्व को मनाते हैं. इस त्योहार के दिन लोग आग से करतब दिखाते हैं.

Igas Diwali: इगास दिवाली का पर्व प्रभु राम को है समर्पित, अनोखी है इस पर्व की परंपरा

Igas Diwali: उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्व इगास दिवाली 12 नवंबर को मनाया जाएगा. यह पर्व दीपावली के बाद एकादशी तीथि को मनाया जाता है. यह राज्य का लोक उत्सव है. इसे अलग-अलग नाम से भी जानते हैं. कुछ लोग इसे इगास बग्वाल कहते हैं तो कुछ लोग इगास दिवाली वहीं कुछ लोग इसे बूढ़ी दीपावली के नाम से भी जानते हैं.

धूमधाम से मनाते हैं यह पर्व

यह त्योहार पूरे राज्य में धूमधाम से मनाया जाता है. प्रदेश सरकार की ओर से इस पर्व को मनाने के लिए राजकीय छुट्टी घोषित की जाती है. इस त्योहार को लेकर क्या बच्चे क्या बड़े और क्या बुजुर्ग सभी लोग उत्साहित रहते हैं. यह पर्व भैलो खेलकर मनाया जाता है. तिल, भंगजीरे, हिसर और चीड़ की सूखी लकड़ियों को मिलाकर छोटे-छोटे गठ्ठर बनाए जाते हैं. इस गठ्ठर को विशेष प्रकार की रस्सी से बांधा जाता है और फिर भैलो तैयार किया जाता है. 

लोग जमा होकर खेलते हैं यह खेल

बग्वाल के दिन पूजा करने के बाद आस-पास के लोग एक जगह पर जमा होकर इस खेल को खेलते हैं. भैलो खेल खेलने के लिए आग का भी प्रयोग होता है इसलिए बच्चों को इस खेल से दूर रखा जाता है. बड़े लोग भैलो में आग लगाकर अनेक तरह के करतब दिखाते हैं. 

खाने के लिए बनाए जाते हैं मीठे व्यंजन

इस पर्व के दौरान पारंपरिक लोकनृत्य चांछड़ी और झुमेलों का प्रदर्शन होता है. इसके अलावा वहां मौजूद लोग भैलो रे भैलो, काखड़ी को रैलू, उज्यालू आलो अंधेरो भगलू आदि लोकगीतों का खूब आनंद लेते हैं. यह पर्व भगवान श्री राम को समर्पित माना जाता है. इस दिन खाने में सुबह से ही मीठे व्यंजन बनाए जाते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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