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नई दिल्ली: हिंदू पंचांग (Panchang) के अनुसार हर महीने के कृष्ण की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी (Kalashatami) मनाई जाती है. वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष के कालाष्टमी का व्रत 3 मई सोमवार को है. इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि काल भैरव, भगवान शिव के रूद्र स्वरूप (Lord Shiv rudra swarup) हैं. काल भैरव के 8 स्वरूप माने गए हैं जिसमें से भगवन बटुक भैरव (Batuk Bhairav) की पूजा आम लोगों के लिए लाभकारी मानी गई है क्योंकि बटुक भैरव को काल भैरव का सौम्य स्वरूप माना जाता है. कालाष्टमी का महत्व और पूजा विधि के बारे में यहां जानें.
ऐसी मान्यता है कि भगवान काल भैरव (Lord Kaal Bhairav) सभी प्रकार की परेशानियों को दूर करते हैं. ऐसे मं कालाष्टमी के दिन व्रत रखने और काल भैरव की पूजा करने से साधक को किसी भी तरह के भय, शत्रु और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है. जटिल बीमारियों को भी दूर करने में (Keeps disease away) काल भैरव की पूजा महत्वपूर्ण माना जाती है. साथ ही किसी भी तरह का वाद विवाद, कोर्ट कचहरी के मामलों से छुटकारा पाने में भी भगवान काल भैरव आपकी मदद कर सकते हैं. इनकी पूजा अर्चना करने से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं और राहु केतु के बुरे दोष (Rahu ketu dosh) से भी मुक्ति मिलती है.
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वैशाख माह, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि- 3 मई 2021, सोमवार
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 3 मई सोमवार को दोपहर 1.39 बजे से
अष्टमी तिथि समाप्त- 4 मई मंगलवार को दोपहर 1.10 बजे तक
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इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर लें और भगवान कालभैरव की पूजा अर्चना करें. घर में भगवान शिव की पूजा भी करें. कालभैरव भगवान को फूल माला चढ़ाएं. दीपक प्रज्वलित करें. नारियल, इमरती, पान आदि चीजें अर्पित करें. कालाष्टमी की मुख्य पूजा रात्रि में की जाती है इसलिए पूरे दिन उपवास करें और रात्रि में पुनः कालभैरव भगवान की पूजा अर्चना करें. इस दिन कालभैरव भगवान के मंत्रों और भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए. भैरव बाबा का वाहन कुत्ता है इसलिए माना गया है कि इस दिन किसी कुत्ते को मीठी रोटी खिलानी चाहिए. इससे भगवान कालभैरव प्रसन्न होते हैं और जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)
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