भागवत, वाल्मीकि रामायण और महाभारत, ये ग्रंथ धरती पर रहने वाले ऋषि-मुनियों ने लिखे हैं. संस्कृत के श्लोकों में गूढ़ ज्ञान छुपा है. ये श्लोक ही हैं, जो जीवन के हर पड़ाव पर जीने का सही तरीका सिखाते हैं.
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नई दिल्ली: धार्मिक क्रियाओं में दो शब्द हमेशा आते हैं, मंत्र और श्लोक. कई लोग इसे एक ही मानते हैं लेकिन इन दोनों में बहुत अंतर है इसीलिए आज हम आपको मंत्र व श्लोक दोनों में अंतर बताएंगे और एक श्लोक अध्ययन करने के लिए भी बताएंगे. ये हमारे लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं और जीवन पर इनका सकारात्मक असर पड़ सकता है.
मंत्र
मंत्र (Mantra) वह हैं जो सीधे मन से उत्पन्न हुए, उन्हें लिखकर नहीं बनाया गया. जैसे वेदों की ऋचाएं. वेदों में आई सारी ऋचाएं मंत्र कहलाती हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वे स्वयं प्रकट हुई थीं, इन्हें किसी ने लिखा नहीं था. मन से उत्पन्न है इसलिए मंत्र कहलाते हैं.
श्लोक
श्लोक (Shloka) का अर्थ ठीक इसके विपरीत है. जो किसी के द्वारा लिखा गया हो, जिसे किसी ने रचा हो, उसे श्लोक कहते हैं. जैसे भागवत, वाल्मीकि रामायण और महाभारत, ये ग्रंथ धरती पर रहने वाले ऋषि-मुनियों ने लिखे हैं. संस्कृत के श्लोकों में गूढ़ ज्ञान छुपा है. ये श्लोक ही हैं, जो जीवन के हर पड़ाव पर जीने का सही तरीका सिखाते हैं.
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आज का श्लोक-
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपद:।
शत्रुबुध्दिविनाशाय दीपजोतिर्नामोस्तुते॥
श्लोक का अर्थ-
ऐसे देवता को प्रणाम है, जो कल्याण करते हैं, रोग मुक्त रखते हैं, धन संपदा देते हैं. जो विपरीत बुध्दि का नाश करते हैं, मुझे सद्मार्ग दिखाते हैं, ऐसी दिव्य ज्योति को मेरा परम नमन है.
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