Ayodhya Ram Mandir: जानिए आखिर क्यों महत्वपूर्ण है Hanumangarhi की पूजा
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Ayodhya Ram Mandir: जानिए आखिर क्यों महत्वपूर्ण है Hanumangarhi की पूजा

नवाब सिराजुद्दौला ( Nawab Siraj-Ud-Daula) को कोई असाध्य रोग हो गया था. नवाब यहां इमली के बाग में पूजा-अर्चना करने वाले बाबा अभय रामदास जी (Baba Abhay Ram Das) के पास आया और स्वस्थ हो गया. उसके बाद इस मंदिर का निर्माण किया गया.

अयोध्या में स्थित है हनुमानगढ़ी मंदिर

अयोध्या: 'जहां राम वहां हनुमान और जहां हनुमान वहां राम' कुछ ऐसी ही है प्रभु श्रीराम की पावन जन्मस्थली अयोध्या (Ayodhya). अयोध्या में बजरंग बली का विश्व विख्यात मंदिर 'हनुमान गढ़ी' (Hanuman Garhi Mandir) स्थित है. हनुमानजी को अयोध्या का रक्षक माना जाता है और कहते हैं कि हनुमानजी की आज्ञा लिए बिना कोई प्रभु श्रीराम के दर्शन नहीं कर सकता है. आइये आपको बताते हैं राम नगरी अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के बारे में, जहां साक्षात हनुमान जी का वास हैं.

  1. अयोध्या पुरी प्रभु श्रीराम की नगरी है
  2. इसे हनुमान जी का घर भी कहा जाता है
  3. इस दिव्य मंदिर का इतिहास 500 साल से भी अधिक पुराना है

प्रभु श्रीराम की नगरी
अयोध्या पुरी प्रभु श्रीराम की नगरी है. यहां के कण-कण में श्रीराम बसते हैं. यहां की मिट्टी भी श्रीराम की चरण रज से पावन है. अयोध्या में श्रीराम की लीलाएं हुई हैं. यहां प्रभु अपने भ्राताओं और अपनी अर्धांगिनी जगकनंदिनी सीता के साथ विराजते हैं.
अब जहां प्रभु श्रीराम हैं, वहां उनके परम भक्त हनुमान तो होंगे ही. अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर के बारे में मान्यता है कि हनुमानजी यहां सदैव वास करते हैं.

हनुमानजी का घर
अयोध्या का सबसे प्रमुख श्री हनुमान मंदिर 'हनुमानगढ़ी' के नाम से प्रसिद्ध है. यह मंदिर ऊंचे टीले पर स्थित है. कहा जाता है कि हनुमानजी को रहने के लिए यही स्थान दिया गया था इसलिए इसे हनुमान जी का घर भी कहा जाता है. इस मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को भगवान प्रभु श्रीराम के दर्शन से पहले उनके भक्त हनुमानजी के दर्शन करने होते हैं.

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बेहद प्राचीन है मंदिर का इतिहास
हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत गौरी शंकर दास (Mahant Gauri Shankar Das) ने बताया कि मंदिर का इतिहास सिराजुद्दौला के समय का है. नवाब सिराजुद्दौला को कोई असाध्य रोग हो गया था. नवाब यहां इमली के बाग में पूजा अर्चना करने वाले बाबा अभय रामदास जी के पास आया और स्वस्थ हो गया. उसके बाद इस मंदिर का निर्माण किया गया. 

जहां श्री राम के भजन, वहीं हनुमान
मंदिर में स्थापित हनुमानजी को लेकर मान्यता है कि जब लंका को जीतकर भगवान श्रीराम (Lord Sri Rama) अयोध्या वापिस आए तो उनके साथ हनुमान जी भी आए. प्रभु श्रीराम जब अपनी लीला पूरी करके वापिस गौलोक जाने लगे तो हनुमानजी ने साथ जाने से मना कर दिया. हनुमानजी पृथ्वी पर ही रुकना चाहते थे. उनका कहना था कि जहां श्री राम के भजन होते हैं, वे वहीं रुकेंगे और श्रीराम की आराधना करेंगे.

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तब भगवान श्रीराम हनुमान जी को अयोध्या में ही छोड़कर अपने धाम गौलोक चले गए.

भगवान के साथ पत्राचार की परंपरा 
हनुमान गढ़ी के इस दिव्य मंदिर को लेकर मान्यता है कि पूरे देश में बजरंग बली हनुमानजी की इस मंदिर जैसी जाग्रत मूर्ति कहीं नहीं है. मंदिर में श्रीहनुमान के पीछे श्रीराम दरबार विराजता है. महंत गौरी शंकर दास ने बताया कि मंदिर में स्थापित मूर्ति इतनी दिव्य है कि यदि सेवा में पुजारी से कोई गलती हो जाए तो स्वयं भगवान हनुमान दो घंटे में पुजारी को उसकी त्रुटि का एहसास दिलाते हैं.

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इस अद्भुत मंदिर में भगवान के साथ पत्राचार की भी परंपरा है. पुजारी पत्र (Letter) लिख कर भगवान हनुमान से अलग-अलग विषयों पर आज्ञा लेते हैं.

कलियुग के राजा हनुमान
गर्मियों में इस मंदिर के कपाट सुबह 5 बजे खुलते हैं और रात दस बजे बंद होते हैं, जबकि सर्दियों में मंदिर के पट सुबह 6 बजे खुलते हैं. ऋतु कोई भी हो, मंदिर में श्रद्धालुओं की हमेशा भीड़ रहती है. मंगलवार को प्रभु हनुमान के भक्त बड़ी मात्रा में हनुमानगढ़ी दर्शन करने आते हैं. श्रद्धालुओं की मान्यता है कि हनुमान गढ़ी के हनुमान जी अयोध्या की सदा रक्षा करते हैं और वे कलियुग के राजा (King Of Kalyug) हैं.

उन्हें अयोध्या का प्रत्यक्ष देवता माना जाता है. इसलिए अयोध्या में कोई भी महत्त्वपूर्ण काम करने से पहले बजरंग बली से अनुमति ली जाती है.

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मंदिर से जुड़े लोग कहते हैं कि मंदिर की स्थापना सिराजुद्दौला के शासन काल में हुई थी. अयोध्या में कोई भी काम करना हो तो श्री हनुमान की अनुमति लेनी पड़ती है. तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी अयोध्या मंदिर भूमि पूजन से पहले यहां पूजा-अर्चना की.

मंदिर में है एक विजय स्तंभ 
लगभग 70 सीढ़ियां चढ़ने के बाद श्रद्धालु यहां हनुमान गढ़ी के बाबा हनुमान की शरण में पहुंचते हैं. मंदिर में हनुमानजी को हीरे-मोती के आभूषण पहनाए जाते हैं और तुलसी पत्र पर रोजाना राम नाम लिख कर चढ़ाया जाता है. मंदिर में एक स्तंभ भी है और इस स्तंभ की मान्यताएं त्रेता युग के साथ जुड़ी हुई हैं. महंत गौरी शंकर दास ने बताया कि यहां एक विजय स्तंभ (Victory Pillar) भी है.

लंका विजय के बाद हनुमान जी इस स्तंभ को लेकर आए थे और यहां लगाया था. यहां लोग मत्था जरूर टेकते हैं और बजरंग बली से अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं.

इस मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां आने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. श्रद्धालु यह भी मानते हैं कि यहां हनुमान जी को लाल चोला चढ़ाने से बुरे ग्रह शांत हो जाते हैं और जीवन में सफलता और समृद्धि मिलती है.

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