आखिर क्यों इष्ट देव को मानना जरूरी है? शास्त्रों में बताई गई है यह वजह
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आखिर क्यों इष्ट देव को मानना जरूरी है? शास्त्रों में बताई गई है यह वजह

शास्त्रों में कहा गया है कि इंसान को किसी न किसी भगवान (God) को अपना इष्ट देव (Isht Dev) जरूर मानना चाहिए. संकट में हमेशा अपने इष्ट देव को ही याद करें ताकि आपकी प्रार्थना भटके नहीं और पूजा का फल प्राप्त हो सके.

फाइल फोटो

नई दिल्ली. सनातन धर्म (Hindu Religion) में 33 करोड़ देवी-देवता हैं. हर कोई अलग-अलग देवी-देवाताओं की पूजा-अर्चना करता है, लेकिन अक्सर एक बात कही जाती है कि एक समय में एक ही काम करना चाहिए. अगर आप एक समय में दो या उससे ज्यादा काम करेंगे तो आपके हाथ असफलता ही लगेगी.

  1. शास्त्रों में बताया गया है इष्ट देव का महत्व
  2. हर व्यक्ति के होने चाहिए इष्ट देव
  3. इष्ट देव बनाने से मिलता है पूजा का उचित फल

इष्ट देवता का होना जरूरी

यही बात हिंदू धर्म (Hindu Religion) के देवी-देवताओं को लेकर भी लागू होती है. इसीलिए शास्त्रों में एक देवी (Devi) या देवता (Devta) को अपना इष्ट (Isht) मानने की बात कही गई है.

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कहानी से समझें इष्ट देव क्यों हैं जरूरी

चलिए इस बात को कहानी के द्वारा समझाते हैं. एक बार एक नाव में चार लोग सफर कर रहे थे. ये चारों हिंदू (Hindu), मुस्लिम (Muslim), सिख (Sikh) और ईसाई (Christian) धर्म के थे. तभी तेज तूफान आने से पानी की खतरनाक लहरें उठने लगीं. इस दौरान मुस्लिम शख्स ने अल्लाह (Allah) को याद किया, सिख ने गुरु नानक देव (Guru Nanak Dev) और ईसाई ने प्रभु यीशु (Jesus Christ) से रक्षा करने की प्रार्थना की और इन सभी की जान बच गई. हिंदू (Hindu) ने कभी राम (Ram), कभी श्रीकृष्ण (Krishna), कभी महादेव (Mahadev), कभी हनुमान (Hanuman), कभी मां दुर्गा (Mata Durga) तो कभी ब्रह्मा (Brahma) को याद किया, लेकिन वह डूब गया और उसके प्राण नहीं बच सके.

सभी भगवानों में विद्यमान है एक ही शक्ति

इस कहानी के द्वारा यह बताने का प्रयत्न किया गया है कि एकाग्रता के साथ एक ही भगवान (God) की आराधना करें. हिंदुओं के देवी-देवताओं के नाम भले ही अलग हैं लेकिन सभी में एक ही शक्ति विद्यमान है. इसलिए हर व्यक्ति को अपना इष्ट देव (Isht Dev) किसी ना किसी को जरूर बनाना चाहिए.

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इष्ट देव की सच्चे मन से करें आराधना

मान्यताओं के अनुसार, अल्लाह, जीसस, वाहे गुरु, राम, हनुमान सब एक ही शक्ति के रूप हैं. इसलिए हमेशा अपने इष्ट देव (Isht Dev) की पूरे सच्चे मन से आराधना करनी चाहिए. संकट में हमेशा अपने इष्ट देव को ही याद करें ताकि आपकी प्रार्थना भटके नहीं और पूजा का फल आपको प्राप्त हो.

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