लोहड़ी का पर्व आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्‍व
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लोहड़ी का पर्व आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्‍व

वैसे तो लोहड़ी को लेकर कई तरह की कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हैं. पर क्या आपको पता है कि सिखों में एक लोहड़ी ब्याहने की परंपरा भी होती है.

रात के समय जब लोहड़ी जलाई जाती है तब सिख समुदाय की सभी महिलाएं और पुरुष कामकाज से निपटकर हर अग्नि की परिक्रमा करता है.(फाइल फोटो)

नई दिल्लीः मकर संक्रांति के एक दिन पहले पड़ने वाला त्योहार 'लोहड़ी' पंजाबियों का मुख्य त्योहार है, जिसे पंजाबी और सिख मिलकर बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं. मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर मनाए जाने वाले लोहड़ी का नाम सुनते ही मन में बीच में जलते अलाव और उसके चारों ओर भांगड़ा, गिद्दा करते सिख और मूंगफली और रेवड़ी की तस्वीर उभरने लगती है. वैसे तो लोहड़ी को लेकर कई तरह की कथाऐं और मान्यताऐं जुड़ी है.

  1. पंजाबी और सिख समुदाय के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं लोहड़ी
  2. सिखों में एक लोहड़ी ब्याहने की परंपरा भी होती है इस पर्व में
  3. इस दिन किसान खेत में आग जलाकर अग्नि देवता से आशीर्वाद लेते हैं

पर क्या आपको पता है कि सिखों में एक लोहड़ी ब्याहने की परंपरा भी होती है. जिसमें लोहड़ी से पहले लोहड़ी की तैयारी करने के लिए लोकगीत गाकर लोग लकड़ी और उपले इकट्ठे करते हैं, जिसे ये एक चौराहे या पिंड के बीचों-बीच इकट्ठा करते हैं, जिसे रात में जलाना होता है. इस अवसर पर विवाहिता पुत्रियों को माँ के घर से सिंधारा (वस्त्र, मिठाई, रेवड़ी और फल भेजे जाते हैं, जिसे लोहड़ी ब्याहना कहते हैं.

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बता दें रात के समय जब लोहड़ी जलाई जाती है तब सिख समुदाय की सभी महिलाएं और पुरुष कामकाज से निपटकर अग्नि की परिक्रमा करता है और तिल, रेवड़ी और मक्के की आहुती देता है, जिसे फुल्ली कहते हैं. वहीं लोहड़ी में फुल्ली भेंट करने के बाद इन्हीं सब चीजों का प्रसाद भी बांटा जाता है, जिसे सभी लोग खाते हैं और एक-दूसरे को लोहड़ी की शुभकामनाएं देते हैं. बता दें घर लौटते समय लोहड़ी में से दो चार दहकते कोयले, प्रसाद के रूप में, घर पर लाने की प्रथा भी है.
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लोहड़ी शुभ मुहूर्त-
लोहड़ी पूजा का शुभ मुहूर्त 13 जनवरी को शाम 5 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 4 मिनट तक रहेगा.

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लोहड़ी महत्व
सर्दियों की मुख्य फसल गेहूं है, जो अक्टूबर मे बोई जाती है जबकि, मार्च के अन्त में और अप्रैल की शुरुआत में काटी जाती है. फसल काटने और इकट्ठा करके घर लाने से पहले, किसान इस लोहड़ी त्योहार का आनंद मनाते हैं. लोहड़ी को मनाते समय किसान सूर्य देवता को धन्यवाद देते हैं और आग में फुल्ले डालते हुए कहते हैं 'आधार आए दिलाथेर जाए' जिसका मतलब होता है कि घर में सम्मान आए और गरीबी भाग जाए. सुबह बच्चे घर-घर जाकर लोहड़ी मांगते हैं. जिसमें लोग उन्हें पैसा और खाने-पीने की चीजें देते हैं.

ऐसा माना जाता है कि किसान खेत में आग जलाकर अग्नि देवता से अपनी जमीन को आशीर्वाद देकर उसकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने की प्रार्थना करते हैं. पूजा के बाद सभी को प्रसाद दिया जाता है. बता दें पंजाब में लोहड़ी को नए साल की शुरुआत भी मानते हैं.

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