Lord Surya: वो कौन सी शक्ति है, जो सूर्य को हमारी परंपरा मे देवता बनाती है?
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Lord Surya: वो कौन सी शक्ति है, जो सूर्य को हमारी परंपरा मे देवता बनाती है?

वो कौन सी शक्ति है, जो सूर्य को हमारी परंपरा मे देवता बनाती है? ऐसा क्यों माना जाता कि खास तरीके से सूर्य की उपासना संतान प्राप्ति से लेकर असाध्य चर्म रोगों से मुक्ति दिलाती है? चलिए इस रिपोर्ट के जरिए समझते हैं सूर्य को लेकर आस्था के पीछे का पूरा विज्ञान.

Lord Surya: वो कौन सी शक्ति है, जो सूर्य को हमारी परंपरा मे देवता बनाती है?

Which power makes Surya as lord: वो कौन सी शक्ति है, जो सूर्य को हमारी परंपरा मे देवता बनाती है? ऐसा क्यों माना जाता कि खास तरीके से सूर्य की उपासना संतान प्राप्ति से लेकर असाध्य चर्म रोगों से मुक्ति दिलाती है? चलिए इस रिपोर्ट के जरिए समझते हैं सूर्य को लेकर आस्था के पीछे का पूरा विज्ञान. शुक्रवार सुबह 4 दिनों का व्रत उदयाचल सूर्य को अर्घ्य देने के साथ भारत में छठ का महापर्व संपन्न हुआ. इससे पहले गुरुवार की शाम अस्ताचल के सूर्य को अर्घ्य दिया गया. चमत्कार को नमस्कार है. उगते सूर्य की तो दुनिया में कई जगह पूजा होती है. लेकिन ये केवल भारत में ही संभव है, जहां डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देकर पूजा जाता है. ऐसा क्यों होता है, इसकी कई वजहें हैं.

सूर्य की कठिन उपासना के पीछे शक्ति का रहस्य हमारे जेहन में बना रहता है. सूर्य के इसी चमत्कारी रहस्य को लेकर हमारी जिज्ञासा हमें पटना के पास एक ऐसे सूर्य मंदिर में ले गई, जिसके इतिहास का सिरा द्वापर युग से जुड़ता है. बात ओलार के सूर्य मंदिर की जो देश में सूर्य के 12 खास मंदिरों में से एक है. अन्य सूर्य मंदिरों की तरह यहां भी श्रद्धालु मन्नत मांगकर गुहार लगाने आते हैं. किसी की प्रार्थना में संतान प्राप्ति की कामना होती है तो किसी के मन में समृद्धि और सेहत की चाहत. लोग मनोकामना पूर्ण होने के बाद मंदिर में सूर्य देव का आभात जताने आते हैं. इस मंदिर के बारे में एक बड़ी मान्यता ये है कि यहां सूर्य की पूजा और इसके तलाब में स्नान करने से कुष्ठ जैसा असाध्य चर्मरोग तक ठीक हो जाता है.

पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा है कि जब कृष्ण के बेटे को कुष्ठ हुआ तो नारदज ने ये सलाह दी कि उलार में पांच रविवार को जल दें और सूर्य मंदिर की पूजा करें, तो इस कष्ट से मुक्ति मिल जाएगी. इस मान्यता की पड़ताल में हमने जब यहां के जानकारों से बातचीत की, तो पता चला, सूर्य देव के इस उपासना स्थल का ताल्लुक द्वापर युग से है. इनके मुताबिक भगवान कृष्ण और जाम्बवती के पुत्र के साम्ब ने खुद यहां सूर्य उपासना की थी और कुष्ठ रोग से मुक्त हुए थे.

ओलार्क सूर्य मंदिर के पुजारी राजेन्द्र पाठक ने कहा, 'ये मंदिर तो आधुनिक है, लेकिन प्रतिमाएं यहां द्वापर कालीन है. सच्चे दिल से मन्नत पूरी होती है. जैसे कुष्ठ व्याधि और संतान प्राप्ति के लिए विशेष रूप से यहां आते हैं.' ये मान्यता पहले तो चौंकाती है, लेकिन ओलार मंदिर और यहां हुए चमत्कार का जिक्र साम्ब पुराण में भी मिलता है. एक कथा के मुताबिक कृष्ण और जाम्बवती के पुत्र साम्ब बहुत सुंदर थे. बांसुरी बजाते हुए अपने पिता कृष्ण की नकल उतारते थे. इससे नाराज कृष्ण ने उन्हें शाप दे दिया.

दूसरी कथा के मुताबिक साम्ब ने एक ऋषि को अपमानित किया था, इसकी वजह से उन्होंने कुष्ठ रोग से ग्रसित होने का शाप दिया. शाप के प्रभाव में साम्ब की सुंदरता कुष्ठ रोग से खत्म हो गई. तब उन्हें नारद मुनि ने ओलार में सूर्य मंदिर बनाकर उपासना की सलाह दी. ओलार मंदिर के महंत ने भगवान श्रीकृष्ण की ये कथा बताते हुए उन मंदिर की मूर्तियों की तरफ भी इशारा किया, जो परिसर में ही संग्रहालय बनाकर रखी हुई हैं.

इन मूर्तियों की जांच पुरातत्व विभाग कर चुका है. जांच में सामने आई इनकी काल गणना के मुताबिक ये मूर्तियां पांच हजार साल पुरानी है, जिन्हें मुस्लिम आक्रांताओं ने तोड़ दिया था. लेकिन महंत अवध बिहारी दास बताते हैं, सूर्य मंदिर ध्वस्त होने के बाद भी यहां सूर्य की अलौकिक शक्तियां बनी रही, इस अलौकिक शक्ति, ओलार मंदिर के इस रहस्य की पड़ताल अभी बाकी है.

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