गंगासागर की मान्यता है अगर कोई तीर्थ करने आता है तो उसके लिए "प्रसाद" का उतना ही महत्व है जितना स्नान का, इसलिए कई धार्मिक संस्थाएं यहां पर श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद का बंदोबस्त कर रहे हैं.
Trending Photos
दक्षिण 24 परगना (अयान घोषाल): गंगासागर द्वीप पर सैकड़ों श्रद्धालु प्रति वर्ष स्नान करने पहुंचते हैं. यह वह स्थान है जहां गंगा और बंगाल की खाड़ी मिलती है. इसलिए इसको गंगासागर कहते हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, गंगासागर में पवित्र स्नान करने और भगवान कपिल मुनि का आशीर्वाद लेने से मोक्ष प्राप्त होती है. कहा जाता है "सब तीर्थ बारबार, गंगासागर एक बार." इस वर्ष 15 तारीख को मकर संक्रांति के दिन स्नान का समय सुबह 8:10 AM से लेकर 16 तारीख की सुबह 8 :35 AM तक निर्धारित किया गया है. गंगासागर में इस बार 50 लाख तीर्थ यात्री स्नान करने वाले हैं.
गंगासागर की मान्यता है अगर कोई तीर्थ करने आता है तो उसके लिए "प्रसाद" का उतना ही महत्व है जितना स्नान का, इसलिए कई धार्मिक संस्थाएं यहां पर श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद का बंदोबस्त कर रहे हैं, सरकार की मदद से इस्कॉन को सबसे बड़ी जिम्मेदारी दी गयी है, श्रद्धालुओं के लिए समय पर "प्रसाद" उपलब्ध करवाने के लिए संस्था की मानें तो 11 जनवरी से 16 जनवरी तक हर दिन 10000 से भी अधिक श्रद्धालुओं ने "प्रसाद" किया.
इसके लिए खास इंतेजाम किया गया है, आधुनिक प्रकार की रसोई बनाई गयी है, जिसमें स्टीम सिस्टम की अत्याधुनिक मशीन का प्रयोग किया जा रहा है. भोजन विभाग के हेड "सुन्दर गोविन्दो दास" ने बताया कि स्टीम मशीन की मदद से एक घंटे में लगभग एक हजार लोगों के लिए प्रसाद बनकर तैयार किया जा सकता है, सिर्फ हमे ये जानकारी चाहिए कि कितने श्रद्धालु इस बार आए हैं.
साथ साथ हमने और भी रसोई बना रखी हैं जहां पर एक घाटे में 500 लोगों के लिए खिचड़ी बन कर तैयार हो रही है और 1000 श्रद्धालु एक साथ बैठ कर प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं. इसके लिए डाइनिंग हॉल भी तैयार किया गया है. हमारा मूल उद्देश्य है कि सागर में स्नान के बाद एक भी श्रद्धालु बिना प्रसाद लिए ना जाए.
ये वीडियो भी देखें: