Narsimha Jayanti 2024: कल मनाई जाएगी नरसिंह जंयती, शुभ मुहूर्त में कर लें ये सरल काम, मिलेगा बुद्धि-ज्ञान का आशीर्वाद
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Narsimha Jayanti 2024: कल मनाई जाएगी नरसिंह जंयती, शुभ मुहूर्त में कर लें ये सरल काम, मिलेगा बुद्धि-ज्ञान का आशीर्वाद

Narsimha Jayanti 2024 Date: हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरसिंह जयंती मनाई जाती है. भगवान नरसिंह को भगवान विष्णु का चौथा अवतार माना जाता है. 

Narsimha Jayanti 2024: कल मनाई जाएगी नरसिंह जंयती, शुभ मुहूर्त में कर लें ये सरल काम, मिलेगा बुद्धि-ज्ञान का आशीर्वाद

Narsimha Jayanti 2024 Kab hai: हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरसिंह जयंती मनाई जाती है. भगवान नरसिंह को भगवान विष्णु का चौथा अवतार माना जाता है. नरसिंह जी को आधा अनुष्य और आधा शेर के रूप में दर्शाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार विष्णु जी ने अपने परम भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह का अवतार धारण किया था.  

कब है नरसिंह जयंती 2024? (Narsimha Jayanti 2024 Date)
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 21 मई को शाम 05 बजकर 39 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 22 मई को शाम 06 बजकर 47 मिनट पर होगा. इसके चलते 21 मई को नरसिंह जयंती मनाई जाएगी. इस दिन रवि योग और स्वाति नक्षत्र का भी शुभ संयोग बन रहा है.

पूजा का शुभ मुहूर्त (Narsingh Jayanti Shubh Muhurat)
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान नरसिंह जी की पूजा संध्या काल में की जाती है. 21 मई को आप नरसिंह जी की पूजा शाम 4 बजकर 24 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 9 मिनट तक कर सकते हैं.

करें नरसिंह चालीसा का पाठ
जो व्यक्ति नरसिंह जी की विधि विधान से पूजा करता है उसके जीवन के कष्ट कम हो जाते हैं. नरसिंह जयंती के अवसर पर आप पूजा के शुभ मुहूर्त में भक्तिभाव से नरसिंह चालीसा का पाठ कर सकते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नरसिंह जी की चालीसा का पाठ करने से शक्ति और ज्ञान का आशीर्वाद तो मिलता ही है साथ में बुरी शक्तियों का प्रभाव भी कम होता है.

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नरसिंह चालीसा (Narasimha Chalisa Lyrics)

मास वैशाख कृतिका युत, हरण मही को भार।

शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन, लियो नरसिंह अवतार।।

धन्य तुम्हारो सिंह तनु, धन्य तुम्हारो नाम।

तुमरे सुमरन से प्रभु, पूरन हो सब काम।।

नरसिंह देव में सुमरों तोहि

धन बल विद्या दान दे मोहि।।1।।

जय-जय नरसिंह कृपाला

करो सदा भक्तन प्रतिपाला।।2।।

विष्णु के अवतार दयाला

महाकाल कालन को काला।।3।।

नाम अनेक तुम्हारो बखानो

अल्प बुद्धि में ना कछु जानो।।4।।

हिरणाकुश नृप अति अभिमानी

तेहि के भार मही अकुलानी।।5।।

हिरणाकुश कयाधू के जाये

नाम भक्त प्रहलाद कहाये।।6।।

भक्त बना बिष्णु को दासा

पिता कियो मारन परसाया।।7।।

अस्त्र-शस्त्र मारे भुज दण्डा

अग्निदाह कियो प्रचंडा।।8।।

भक्त हेतु तुम लियो अवतारा

दुष्ट-दलन हरण महिभारा।।9।।

तुम भक्तन के भक्त तुम्हारे

प्रह्लाद के प्राण पियारे।।10।।

प्रगट भये फाड़कर तुम खम्भा

देख दुष्ट-दल भये अचंभा।।11।।

खड्ग जिह्व तनु सुंदर साजा

ऊर्ध्व केश महादृष्ट विराजा।।12।।

तप्त स्वर्ण सम बदन तुम्हारा

को वरने तुम्हरो विस्तारा।।13।।

रूप चतुर्भुज बदन विशाला

नख जिह्वा है अति विकराला।।14।।

स्वर्ण मुकुट बदन अति भारी

कानन कुंडल की छवि न्यारी।।15।।

भक्त प्रहलाद को तुमने उबारा

हिरणा कुश खल क्षण मह मारा।।16।।

ब्रह्मा, बिष्णु तुम्हें नित ध्यावे

इंद्र-महेश सदा मन लावे।।17।।

वेद-पुराण तुम्हरो यश गावे

शेष शारदा पारन पावे।।18।।

जो नर धरो तुम्हरो ध्याना

ताको होय सदा कल्याना।।19।।

त्राहि-त्राहि प्रभु दु:ख निवारो

भव बंधन प्रभु आप ही टारो।।20।।

नित्य जपे जो नाम तिहारा

दु:ख-व्याधि हो निस्तारा।।21।।

संतानहीन जो जाप कराये

मन इच्छित सो नर सुत पावे।।22।।

बंध्या नारी सुसंतान को पावे

नर दरिद्र धनी होई जावे।।23।।

जो नरसिंह का जाप करावे

ताहि विपत्ति सपने नहीं आवे।।24।।

जो कामना करे मन माही

सब निश्चय सो सिद्ध हुई जाही।।25।।

जीवन मैं जो कछु संकट होई

निश्चय नरसिंह सुमरे सोई।।26।।

रोग ग्रसित जो ध्यावे कोई

ताकि काया कंचन होई।।27।।

डाकिनी-शाकिनी प्रेत-बेताला

ग्रह-व्याधि अरु यम विकराला।।28।।

प्रेत-पिशाच सबे भय खाए

यम के दूत निकट नहीं आवे।।29।।

सुमर नाम व्याधि सब भागे

रोग-शोक कबहूं नहीं लागे।।30।।

जाको नजर दोष हो भाई

सो नरसिंह चालीसा गाई।।31।।

हटे नजर होवे कल्याना

बचन सत्य साखी भगवाना।।32।।

जो नर ध्यान तुम्हारो लावे

सो नर मन वांछित फल पावे।।33।।

बनवाए जो मंदिर ज्ञानी

हो जावे वह नर जग मानी।।34।।

नित-प्रति पाठ करे इक बारा

सो नर रहे तुम्हारा प्यारा।।35।।

नरसिंह चालीसा जो जन गावे

दु:ख-दरिद्र ताके निकट न आवे।।36।।

चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे

सो नर जग में सब कुछ पावे।।37।।

यह श्री नरसिंह चालीसा

पढ़े रंक होवे अवनीसा।।38।।

जो ध्यावे सो नर सुख पावे

तोही विमुख बहु दु:ख उठावे।।39।।

‘शिवस्वरूप है शरण तुम्हारी

हरो नाथ सब विपत्ति हमारी’।।40।।

चारों युग गायें तेरी महिमा अपरंपार।

निज भक्तनु के प्राण हित लियो जगत अवतार।।

नरसिंह चालीसा जो पढ़े प्रेम मगन शत बार।

उस घर आनंद रहे वैभव बढ़े अपार।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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