Radha Ashtami 2020: कैसे प्रकट हुई थीं श्री राधा जी, जानें इसके पीछे की क्या है मान्यता
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Radha Ashtami 2020: कैसे प्रकट हुई थीं श्री राधा जी, जानें इसके पीछे की क्या है मान्यता

श्री राधा जी के प्राकट्टय दिवस को राधाष्टमी (Radha Ashtami) अथवा राधा जयंती (Radha Jayanti) के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन श्री राधा जी वृषभानु की यज्ञ भूमि से प्रकट हुई थीं.

राधाअष्टमी पूजा से जीवन में भगवान कृष्ण का भी आशीर्वाद बरसता है

नई दिल्ली: सनातन परंपरा में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का अत्यंत महत्व है क्योंकि इसी दिन श्री राधा जी का प्राकट्य हुआ था. श्री राधा जी के बगैर भगवान कृष्ण की पूजा, भक्ति अधूरी मानी जाती है. इन्हें शक्ति का अवतार माना जाता है, जिनके स्मरण मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. यही कारण है कि अधिकांश कृष्ण भक्त किसी को भी प्रणाम करने के लिए सिर्फ और सिर्फ राधे-राधे का उच्चारण करता है. कृष्ण भक्तों को इस बात का पूरा यकीन होता है कि जिनके अधीन स्वयं भगवान कृष्ण रहते हों, उस राधा का नाम लेने मात्र से ही जीवन के सारे काम, सभी मनोकामनाएं पलक झपकते पूरी हो जाएंगी. 

  1. राधाअष्टमी पर पूरी होगी हर मनोकामना
  2. भगवान 'कृष्ण' का भी मिलेगा आशीर्वाद
  3. प्राकट्य दिवस पर दान का विशेष महत्व

यज्ञ से हुआ था प्राकट्य
श्री राधा जी के प्राकट्टय दिवस को राधाष्टमी (Radha Ashtami) अथवा राधा जयंती (Radha Jayanti) के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन श्री राधा जी वृषभानु की यज्ञ भूमि से प्रकट हुई थीं. ऐसे में श्री राधा जी के भक्त उनके प्राकट्य दिवस (Birth Day) को खूब धूम-धाम से मनाते हैं. इस दिन श्री राधा जी का भव्य श्रृंगार करके विधि-विधान से पूजन किया जाता है. 

श्री राधाष्टमी का महत्व 
श्री राधा रानी को समर्पित इस पावन पर्व विधि-विधान से पूजन, व्रत, संकीर्तन आदि करने से राधे रानी संग भगवान श्रीकृष्ण का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. जिससे सभी दु:ख, पाप आदि दूर होते हैं. जीवन में सब मंगल ही मंगल होता है. माता लक्ष्मी का अवतार मानी जाने वाली श्री राधा जी की कृपा से भक्तों का घर धन-धान्य से भरा रहता है.

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कैसे करें पूजन
सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए श्री राधाष्टमी के दिन मध्याह्न का समय शुभ माना गया है. विदित हो कि राधाष्टमी 25 अगस्त 2020 को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से शुरु होकर दूसरे दिन 26 अगस्त 2020 को सुबह 10 बजकर 39 मिनट तक रहेगी. अपने सुहाग और संतान की लंबी आयु के लिए राधा अष्टमी के दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान करके श्री राधा जी के व्रत का संकल्प करें. इसके पश्चात् किसी चौकी पर श्री राधा जी की फोटो या मूर्ति को आसन बिछाकर रखें. इसके बगल में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें. इसके पश्चात् फल-फूल, मिष्ठान आदि से श्री राधा रानी की पूरे विधि-विधान से पूजा करें. व्रत के दौरान श्री राधा जी और भगवान श्रीकृष्ण के नाम का भजन-कीर्तन करें. राधाष्टमी व्रत के अगले दिन सौभाग्य की कामना करते हुए किसी सुहागिन स्त्री और ब्राह्मण को भोजन कराएं और अपने सामथ्र्य के अनुसार दान दें.

श्री राधा जी का महामंत्र
श्री राधा रानी की कृपा पाने के लिए श्री राधा अष्टमी के दिन उनके षडाक्षर मंत्र ‘श्री राधायै स्वाहा’ अथवा नीचे दिये गए महामंत्र का जप करें. श्रीराधा जी का यह महामंत्र सभी मनोकामना को पूरा करने वाला और भवसागर से पार कराने वाला है. जिसके जपने मात्र से ही सभी दु:ख, संकट दूर होते हैं. श्रद्धा भाव से इस मंत्र का जाप करने से साधक पर श्री राधा जी संग भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद बरसता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.
वृंदावनेश्वरी राधा, कृष्णो वृंदावनेश्वर, जीवनेन धने नित्यं राधा कृष्ण गतिर्मम.

अर्थात श्री राधाजी वृंदावन पावन धाम की अधीश्वरी देवी हैं और भगवान श्रीकृष्ण इस पावन धाम के देवता हैं. ऐसे परम कल्याण करने वाले श्री राधा जी और भगवान कृष्ण के परम आश्रय में ही मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण व्यतीत हो.

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