Ramlala Ki Murti: राम मंदिर में मूर्ति स्थापना के लिए रामलला के 5 साल का स्वरूप ही क्यों ? ये है वजह
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Ramlala Ki Murti: राम मंदिर में मूर्ति स्थापना के लिए रामलला के 5 साल का स्वरूप ही क्यों ? ये है वजह

Prana Pratishtha: अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा का कार्य सफलतापूर्वक हो गया है. बता दें कि यहां प्रभुराम के 5 साल के बाल स्वरूप की मूर्ति को मुख्य स्थान दिया गया है. ऐसे में जानते हैं रामलला की 5 साल के रूप को ही क्यों विराजित किया गया है. 

 

ramlala idol detail

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है. रामलला की चेहरे की मुस्कान, उनकी सुदंरता देख देश का हर व्यक्ति आज भावविभोर हो गया है. 500 साल के बाद अयोध्या में प्रभु श्री राम को विराजित करने का सपना आज पूरा हो पाया है.  पांच साल के राम लाल की 51 इंच की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया गया है. लेकिन सभी देशवासियों के मन में एक सावल अवश्य आ रहा होगा कि 05 साल की उम्र वाले मूर्ति और 51 इंच को ही क्यों चुना गया है. 
 
5 साल की उम्र वाले रामलला की क्यों 

हिंदू धर्म में आमतौर पर 5 साल की उम्र तक को ही बाल्यकाल माना गया है. इसके बाद बालक को बोधगम्य माना जाता है. कई विद्वानों और चाणक्य ने इस बात को बताया है कि पांच साल की उम्र तक बच्चे की हर गलती को माफ कर दिया जाता है. क्योंकि इस उम्र तक बालक अबोध होता है. इस उम्र तक बालक को चीजें सीखा दी जाती हैं. कहा जाता है कि पांच साल की उम्र कर भगवान और दिव्य पुरुषों की बाल लीला का आनंद इसी उम्र तक लिया जाता है. 
 
राम जी के बाल काल की लीलाएं

बता दें कि काभुशुंडी (भगवान राम के भक्त) ने बाल रूप में राम जी को लगातार अयोध्या में देखा और उनका वर्णन किया है. उन्होंने बताया कि वैसे तो भगवान श्री राम ने अपने जीवन में चमत्कार वाली लीलाएं नाममात्र की ही दिखाई हैं. एक बार रामलला ने मां कौशल्या को अपने मुंह में ब्रह्मांड के दर्शन जरूर कराए थे. इसके बाद उनका दूसरा चमत्कार सीता स्वंयर में शिव धनुष तोड़ना था. 

51 इंच की ही क्यों बनी मूर्ति 

रामलला की 51 इंच की मूर्ति स्थापित करने के पीछे भी एक कारण यह है कि भारत में पांच साल के बालक की लंबाई 43 से 45 इंच ही होती है. लेकिन राम जिस दौर में पैदा हुआ थे, उसमें लंबाई ज्यादा होती थी. इसलिए 51 शुभ नंबर देखते हुए उनकी ऊंचाई 51 इंच रखी गई. 

 

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