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Ramayana Katha: रामायण के पात्र प्रभु श्री राम और भगवान लक्ष्मण जैसे भाईयों के चरित्र का आज भी सुमिरन किया जाता है. सनातन धर्म में भगवान राम सबके आराध्य थें. जब भी रामायण के मुख्य पात्र प्रभु श्री राम का जिक्र होता है तो उनके साथ उनके भाई भगवान लक्ष्मण का भी नाम जरूर लिया जाता है.
जैसा कि सभी जानते हैं कि अयोध्या नरेश ने जब अपने प्रिय पुत्र प्रभु श्री राम को वचन निभाने की वजह से 14 वर्ष की वनवास पर भेजा था, उस दौरान उनके भाई लक्ष्मण भी उनकी परछाई बन कर साथ गए थें. बता दें कि इसके पीछे दरअसल एक वजह रही है कि भगवान लक्ष्मण हमेशा प्रभु श्री राम की परछाई बन कर ही रहे हैं. आइए विस्तार में रामायण की रेचक कहानी के जरिए यह समझने की कोशि करेंगे कि भगवान लक्ष्मण को शेषनाग से जोड़ कर क्यों देखा जाता है.
भगवान लक्ष्मण शेषनाग के हैं अवतार
बता दें कि सनातन धर्म में जब प्रभु श्री राम का जन्म होने वाला था, ठीक उससे पहले बैकुंठ धाम में माता लक्ष्मी इस बात को लेकर चिंता में थीं कि वह भगवान विष्णु के राम अवतार में जन्म लेने से उनसे दूर हो जाएंगी. उनकी इस चिंता पर उन्होंने हस कर जवाब दिया कि इस बार वह माता लक्ष्मी के अलावा सभी बैकुंठ निवासियों को अपने साथ किसी ना किसी रूप में ले जाएंगे, जिसमें बैकुंठ धाम में भगवान विष्णु जिस शेषनाग पर विराजमान रहते हैं, वह भी उनके साथ उनके भाई लक्ष्मण के रूप में हमेशा उनकी परछाई बन कर रहेंगे. यही वजह है कि भगवान लक्ष्मण को शेषनाग का ही अवतार माना जाता है. वहीं माता लक्ष्मी को प्रभु श्री राम की पत्नी माता सीता के रूप में जाना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)