Ramayan Story: श्री राम के असंख्य रूप देखकर चकरा गईं थी सती, वापस लौटने पर ऐसी थी शिव जी की प्रतिक्रिया
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Ramayan Story: श्री राम के असंख्य रूप देखकर चकरा गईं थी सती, वापस लौटने पर ऐसी थी शिव जी की प्रतिक्रिया

Ramayan Story in Hindi: वनवास के दौरान जब रावण ने सीता जी का हरण कर लिया तो श्री राम अपने भाई लक्ष्मण जी के साथ सीता जी की खोज करते हुए भटक रहे थे, इसी अवसर पर शिवजी सती माता के साथ उनके दर्शन करने पहुंचे तो दूर से ही प्रणाम किया, सती जी के मन में संशय हुआ तो वह शिव जी से कह कर उनकी परीक्षा लेने चली गईं, लेकिन श्री राम ने वहां माया से अपने, सीता जी और लक्ष्मण जी के असंख्य रूप रच दिए जिसे देख कर सती चकरा गईं.

 

फाइल फोटो

Ramayan Story of Seeing so many Sri Ram: जब सती जी प्रभु श्रीराम की परीक्षा लेने पहुंचीं तो श्री राम ने माया रची जिसके अनुसार श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ जाते हुए दिखे, सती ने पीछे मुड़ कर देखा तो भी यही दृश्य दिखाई दिया, अब तो सती का कौतुहल और भी बढ़ गया और वह जिधर भी देखती, ये तीनों सुंदर वेश में नजर आते. वह तो आश्चर्यचकित रह गईं जब देखा कि भांति भांति के वेश धारण किए देवता श्रीराम चंद्र जी की वंदना और सेवा कर रहे हैं, दरअसल श्री राम चाहते थे कि सती जी उनका सच्चिदानंद रूप देख लें और उन्होंने वियोग तथा दुख की जो कल्पना की है, उसे हटा कर वे सामान्य हो जाएं. लेकिन हुआ इसका उलटा, इस दृश्य को देखकर सती जी बहुत डर गईं और उनका हृदय कांपने लगा, उनकी सुधबुध जाती रही और वे आंख बंद कर रास्ते में ही बैठ गईं. कुछ क्षण के बाद आंखें खोलीं तो दक्ष कुमारी सती जी को कुछ भी न दिखा, वे श्री राम के चरणों में सिर नवा कर चली गई जहां पर शिव जी पेड़ के नीचे उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे.

श्री राम की अद्भुत माया ने सती को भी झूठ बोलने पर मजबूर किया

 

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सती जी जब शिव जी के पास पहुंचीं तो उन्होंने हंस कर कुशलक्षेम के साथ प्रश्न किया कि तुमने श्री राम की किस तरह परीक्षा ली, सारी बात सच सच बताओ. सती जी ने श्री रघुनाथ जी प्रभाव को समझ कर डर के मारे शिव जी से सारा घटनाक्रम छिपा लिया और कहा, हे स्वामी मैने कोई परीक्षा ही नहीं ली और वहां जाकर आपकी तरह प्रणाम किया, उन्होंने आगे कहा कि आपने जो कहा वह झूठ नहीं हो सकता है. मेरे मन में यह पूरा विश्वास है. इस पर शिव जी ने ध्यान लगा कर सब कुछ जान लिया कि सती ने वहां जाकर क्या किया और उन्होंने क्या देखा. इसके बाद तो शिव जी ने श्री राम की माया को प्रणाम किया जिससे प्रेरित होकर सती के मुंह से भी झूठ कहला दिया.  

शिव जी ने मन ही मन सती को छोड़ने का संकल्प ले लिया

सती ने सीता जी का वेश धारण किया था, यह जानकर शिव जी का हृदय बहुत दुखी हुआ, उन्होंने सोचा कि यदि अब वे सती से प्रीति करते हैं तो भक्ति मार्ग लुप्त हो जाएगा और इस तरह बड़ा अन्याय हो जाएगा. सती परम पवित्र हैं इसलिए इन्हें छोड़ना भी ठीक नहीं है और प्रेम करने में भी बड़ा पाप है, शिव जी यह सारी बातें मन ही मन सोच कर दुखी हो गए किंतु मुख से एक भी शब्द नहीं निकाला. 

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काफी देर विचार करने के बाद शिव जी ने श्री राम चंद्र जी के चरण कमलों में मन ही मन सिर नवाया और उनका स्मरण करते ही मन में विचार आया कि सती के इस शरीर से पति पत्नी के रूप में भेंट नहीं हो सकती है और शिवजी ने मन में यह संकल्प मजबूत कर लिया. शंकर जी ऐसा विचार कर कैलास की ओर चल पड़े. चलते हुए आकाशवाणी हुई कि हे महेश आपकी जय हो, आपमें भक्ति की अच्छी दृढ़ता है. आपको छोड़कर ऐसा दूसरा कौन है जो ऐसी प्रतिज्ञा कर सकता है. आप श्री रामचंद्र जी के भक्त हैं, समर्थ हैं और भगवान हैं.  

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

 

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