निदेव के बारे में लोगों के मन में यही भाव हैं कि ये जल्द नाराज होने वाले और दंड देने वाले हैं किंतु यह सत्य नहीं है. मंद गति की चाल होने के कारण ये देर से आपकी इच्छा पूर्ति करते हैं लेकिन बहुत उत्तम ढंग से काम को पूरा करते हैं.
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नई दिल्ली: शनिदेव के वार से सभी बखूबी परिचित हैं. जैसा कि इनके नाम से भी स्पष्ट होता है, इनकी भक्ति व पूजा करने का विशेष वार है शनिवार. इनके प्रकोप से सभी डरते हैं. शनिदेव के बारे में लोगों के मन में यही भाव हैं कि ये जल्द नाराज होने वाले और दंड देने वाले हैं किंतु यह सत्य नहीं है. वास्तव में ये अपने भक्त को दृढ़ता प्रदान करते हैं. मंद गति की चाल होने के कारण ये देर से आपकी इच्छा पूर्ति करते हैं लेकिन बहुत उत्तम ढंग से काम को पूरा करते हैं. आमतौर पर इन्हें दुखदायी माना जाता है परंतु सच यह है कि ये न्याय के देवता हैं और दंड के विधान का पालन करना इनका कर्तव्य है.
इच्छाएं पूरी करते हैं शनिदेव
शनि को भले ही दुखदायी माना जाता है परन्तु सत्य तो यह है कि ये केवल आपको परेशान ही नहीं करते बल्कि आप पर आशीर्वाद भी लुटाते हैं. कई बार ये आप से आपसे इतने प्रसन्न हो जाते हैं कि जहां आप पूरी तरह से असफल हो चुके हैं, वहां भी आपको सफलता दिलाकर उस ऊंचाई तक ले जाते हैं, जहां की आपने कल्पना भी नहीं की होगी.
शनिदेव की पूजा व व्रत के विधि-विधान
हर शनिवार को मन लगाकर शनिदेव की पूजा करने से आप उनका आशीर्वाद ग्रहण कर सकते हैं.
1. सूर्य के उदय होने के पूर्व स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
2. पीपल के वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें.
3. पीपल के वृक्ष के सामने सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें.
4. सर्वप्रथम शिवजी तथा कृष्ण जी की आराधना करना शुभ माना जाता है क्योंकि शनिदेव को भी ये बहुत प्रिय हैं.
5. अब शनि के इन दस नामों का उच्चारण करें- कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर.
6. पूजा के बाद पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से सात बार परिक्रमा करें.
7. अब शनिदेव के मंत्रों का जाप करें और दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें.
8. इस शमी के वृक्ष की पूजा भी शुभकारी मानी जाती है.
9. शाम के वक्त भी शनि के मंत्रों का जाप करना चाहिए.
10. शनिदेव को काला रंग प्रिय है इसलिए इस दिन सरसों का तेल और काले तिल आदि अर्पित करने चाहिए.
शनिदेव की पूजा करते समय रखें इन बातों का ध्यान
हर देवता की पूजा करने के कुछ नियम होते हैं. शनिदेव की पूजा करते समय भी कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए.
1. शनिदेव की पूजा उनकी प्रतिमा के समक्ष न करके उस मंदिर में करनी चाहिए, जहां वे शिला के रूप में स्थापित किए गए हों.
2. शनिदेव के नाम पर दीपक प्रज्वलित करना उत्तम है लेकिन तेल को उड़ेलकर बर्बाद न करें.
3. इस दिन किसी गरीब को एक समय का भोजन अवश्य कराना चाहिए.
4. इस दिन तामसिक भोजन ग्रहण न करें.
5. अपना आचरण शुद्ध व सभी से अच्छा व्यवहार करें.
शनिदेव के प्रमुख मंत्र
जानिए शनिदेव की पूजा करते वक्त किन मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है.
शनि गायत्री मंत्र
ॐ शनैश्चराय विदमहे छायापुत्राय धीमहि ।
शनि बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नमः ।।
शनि स्तोत्र
ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।
शनि पीड़ाहर स्तोत्र
सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: ।
दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।।
तन्नो मंद: प्रचोदयात ।।
शनिदेव को प्रसन्न करने वाले सरल मंत्र
1. "ॐ शं शनैश्चराय नमः"
2. "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"
3. "ॐ शन्नो देविर्भिष्ठयः आपो भवन्तु पीतये। सय्योंरभीस्रवन्तुनः।।
दुर्घटनाओं से बचाव के लिए मंत्र
दुर्घटनाओं से बचाव के लिए शनिवार को शनि मंदिर जाकर सरसों का तेल, काले तिल, उड़द की दाल, काले वस्त्र, मिठाई अर्पित कर शनिदेव का स्मरण करें. अब नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करें व बाद में तेल का दीया धूप आदि जलाएं व आरती भी करें.
मंत्र
1. ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
2. ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
3. ॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।
4. कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
5. सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।
शनि का तंत्रोक्त मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
शनि दोष निवारण हेतु मंत्र
शनि दोष निवारण हेतु प्रभु शिवशंकर के ये मंत्र बहुत शुभकारी होते हैं-
पंचाक्षर मंत्र- 'ॐ नम: शिवाय '
महामृत्युंजय मंत्र- 'ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्'
दोष निवारण हेतु पांच चमत्कारी मंत्र
1. ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये
2. शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
3. ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
4. ॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।
5. कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
(पंडित शिवकुमार तिवारी शास्त्री जी से बातचीत पर आधारित)