Sawan: सावन में 19 साल बाद बनेगा दुर्लभ संयोग, इस बार इतने दिन भक्त रख पाएंगे व्रत
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Sawan: सावन में 19 साल बाद बनेगा दुर्लभ संयोग, इस बार इतने दिन भक्त रख पाएंगे व्रत

सावन 2023: भगवान शिव के भक्तों को हर साल सावन के पवित्र महीने का इंतजार रहता है. हो भी क्यों न, आखिर भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा जल्द पाने के लिए यह महीना सबसे शुभ माना जाता है. 

 

सावन 2023

Sawan 2023: हर साल सावन के महीने में बम बम भोले के जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो जाता है. पूरे साल इस महीने का भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है. इस महीने भगवान भोलेशंकर के मंदि में भक्तों का तांता लगा रहता है. वहीं, इस महीने को काफी पवित्र माना भी जाता है. इस बार का सावन का महीना कुछ खास रहने वाला है, क्योंकि यह करीब 2 महीनों का रहेगा. ऐसे में लाजिमी है कि लोगों को भगवान की भक्ति के लिए एक महीने का समय अतिरिक्त मिलेगा.

संयोग

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस बार यह साल 12 नहीं, बल्कि 13 महीनों का रहने वाला है. ऐसा सावन महीने के कारण होने जा रहा है. क्योंकि इस बार सावन का महीना करीब 2 महीनों का रहेगा. इससे पहले ऐसा संयोग साल 2004 में हुआ था. अब 19 साल बाद ये संयोग दोहराने जा रहा है. 

तिथि

इस बार सावन महीने की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है और इसका समापन 31 अगस्त को होगा. इस दिन पूर्णिमा भी है. ऐसे में सावन का महीना 59 दिन का होगा. इस बार सावन के महीने में 19 साल बाद मलमास भी पड़ रहा है. इस बार सावन पहले 13 दिन यानी कि 4 जुलाई से 17 जुलाई तक चलेगा. इसके बाद 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा. मलमास का समापन अमावस्या को होगा. इसके बाद 17 अगस्त को फिर से सावन शुरू होगा, जो 31 अगस्त तक चलेगा. ऐसे में इस बार सावन का महीना दो चरणों में पड़ेगा.

पूजा विधि

रात में शिवलिंग की पूजा करते समय अपना मुंह उत्तर दिशा की तरफ रखें. वहीं, शिवजी के मंत्रों का जाप करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें. शिवलिंग का अभिषेष दूध के साथ करें और उनको बेलपत्र, धतुरा, भांग जरूर चढ़ाएं. शिवलिंग को हमेशा खुले और रोशनी वाली जगह पर ही रखें. पूजा करते समय उत्तर दिशा में नहीं बैठें. पूजा में तिल के तेल का प्रयोग करें. मंत्रोच्चार करते समय सुपारी, पंच अमृत, नारियल और बेल की पत्तियां चढ़ाएं. व्रत कर रहे हैं तो सावन व्रत कथा का पाठ करें और महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप करें. संध्याकाल में पूजा खत्म होने के बाद पारण करें और सामान्य भोजन करें. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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