Shivastakam Stotra Lyrics: धार्मिक शास्त्रों के अनुसार हर सोमवार शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति पर भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहती है. भगवान शिव को सृष्टि का पालनहार कहा जाता है.
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Shivastakam: हिन्दू धर्म में सप्ताह के 7 दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होते हैं. समर्पित देवी-देवताओं की विधि विधान से पूजा करने से उनके विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है. सोमवार के साथ अप्रैल की शुरुआत होने वाली है. इस दिन आप भगवान शिव की कृपा पाने के लिए उनकी विधि विधान से पूजा कर सकते हैं. भोलेनाथ की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति का वास होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
हर सोमवार करें शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार हर सोमवार शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति पर भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहती है. भगवान शिव को सृष्टि का पालनहार कहा जाता है. सोमवार के दिन इस स्तोत्र का भक्ति भाव से पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के कठिन संकट दूर होते हैं
।।शिवाष्टक स्तोत्र।। (Shivastakam Stotra Lyrics in Hindi)
जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,
जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे
जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,
जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,
निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥
जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,
मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,
त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,
काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,
नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥
जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,
किस मुख से हे गुरातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,
जय भवकार, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,
दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाधर दया करो,
पार लगा दो भव सागर से, बनकर कर्णाधार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥
जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन,
विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,
सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,
मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,
विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥
भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी,
सरल हृदय, अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी,
निमिष में देते हैं, नवनिधि मन मानी शिव योगी,
भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी,
स्वयम् अकिंचन, जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे।
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)