आइए जानते हैं कि श्रीमद्भागवत गीता के किस अध्याय से कौन सी समस्या का समाधान मिलता है —
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नई दिल्ली: भगवान कृष्ण (Lord Krishna) ने श्रीमद्भागवत गीता (Bhagavad Gita) के माध्यम से सिर्फ अर्जुन की तमाम शंकाओं और समस्याओं का समाधान नहीं किया था, बल्कि उन्होंने मानव मात्र को जीवन जीने की सही दिशा दिखाई थी. महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश आज भी पूरी लोगों के लाइफ मैनेजमेंट का काम करते हैं. इसके 18 अध्यायों में आपको आपकी सभी समस्याओं का समाधान और कामनाओं की पूर्ति करने का रास्ता मिल जाएगा. फिर समस्या चाहे मानसिक हो, सामाजिक हो या फिर व्यावहारिक हो, उसका पूरा समाधान आपको इस दिव्य पुस्तक के अध्यायों में लिखे श्लोकों से मिल जाएगा. आइए जानते हैं कि श्रीमद्भागवत गीता के किस अध्याय से कौन सी समस्या का समाधान मिलता है —
1. मृत्यु का भय दूर करने के लिए
यदि इस कोरोना काल में आप इस महामारी को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित हैं या फिर कहें आपको किसी कारणवश आपको अपनी मृत्यु को लेकर डर बना रहता है तो आपको श्रीमद्भागवत गीता के आठवें अध्याय का पाठ पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए.
2. कठिन समय से मुक्ति पाने के लिए
कोरोना काल में हर कोई आज यही पूछ रहा है कि आखिर कब आएंगे अच्छे दिन. यदि आप भी अपने कठिन समय को लेकर तन, मन और धन से पीड़ित हैं तो आपको श्रीमद्भागवत गीता के छठे अध्याय का पाठ करना चाहिए. निश्चित रूप से गीता का यह पाठ आपको तमाम संकटों से उबार कर आपको सफलता के शिखर पर पहुंचाने में वरदान साबित होगा.
3. आत्मबल और जिंदगी में लय लाने के लिए
इस कोरोना काल के लॉकडाउन पीरियड में यदि आपकी नौकरी चली गई है या फिर आप काफी समय से बेरोजगार चल रहे हैं और आपको भय सता रहा है कि आप एक बार फिर अपनी पारी की शुरुआत कैसे करेंगे। यदि आपको लगता है कि आप अपनी क्षमता के अनुसार अपने कार्य को अंजाम नहीं दे पा रहे हैं तो आपको गीता के नौवें अध्याय का पाठ करना चाहिए.
4. लाभ प्राप्त करने के लिए
यदि आपको लगता है कि तमाम प्रयासों के बावजूद आपका आपके कार्य के अनुरूप लाभ नहीं मिल रहा है तो आपको गीता के चौदहवें अध्याय का विशेष रूप से पाठ करना चाहिए. इस उपाय से आपको आपके कार्य के अनुरूप ही नहीं बल्कि उससे कहीं ज्यादा लाभ मिलने की संभावनाएं बनने लगेंगी. इसी तरह प्रारब्ध में संचित अच्छे कर्मों का लाभ प्राप्त करने के लिए गीता के पंद्रहवें अध्याय का पाठ करना चाहिए.
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