भारतीय ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में किसी भी जातक की जन्म राशि, नाम राशि, जन्म नक्षत्र, जन्मतिथि आदि को ध्यान में रखते हुए रत्न धारण करने के लिए बताया जाता है. किसी भी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों (Planets) की शुभता और अशुभता के अनुसार ही रत्नों को धारण करने की सलाह दी जाती है.
Trending Photos
नई दिल्ली: ज्योतिष से जुड़े नवग्रहों की शुभता बढ़ाने और अशुभता को दूर करने में रत्नों (Gemstones) की अहम भूमिका निभाते हैं. ये प्रकृति के वो अनमोल उपहार हैं, जिन्हें धारण करने से आपके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव आता है और नवग्रहों से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं. दुनियाभर में पाए जाने वाले विभिन्न रत्नों को धारण करने की अपनी अलग-अलग मान्यताएं हैं. मसलन भारतीय ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में किसी भी जातक की जन्म राशि, नाम राशि, जन्म नक्षत्र, जन्मतिथि आदि को ध्यान में रखते हुए रत्न धारण करने के लिए बताया जाता है. किसी भी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों (Planets) की शुभता और अशुभता के अनुसार ही रत्नों को धारण करने की सलाह दी जाती है. आइए जानते हैं किसी रत्न को खरीदने से लेकर पहनने तक के महत्वपूर्ण नियम.
रत्नों के नियम
ज्योतिष शास्त्र में हर रत्न से जुड़े कुछ खास नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है. जानिए रत्नों से जुड़े सभी जरूरी नियम.
यह भी पढ़ें- दुर्भाग्य को दूर करना चाहते हैं तो आज ही अपनाएं जल से जुड़े ये वास्तु उपाय
1. किसी भी रत्न को हमेशा किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष में ही धारण करें. भूलकर भी कृष्णपक्ष में धारण न करें.
2. रत्न को हमेशा विधि-विधान से पूजित एवं अभिमंत्रित करने के बाद ही धारण करना चाहिए.
3. रत्न को सिर्फ शुभ मुहूर्त में धारण ही नहीं किया जाता, बल्कि खरीदा भी जाता है. ऐसे में किसी भी रत्न को खरीदते समय शुभ मुहूर्त का पूरा ख्याल रखें.
4. रत्न लेते समय इस बात का पूरा ध्यान रखें कि रत्न दागदार और चटका हुआ न हो. हमेशा रत्न को ज्योतिष के मापदण्ड के अनुसार ही खरीदें.
5. किसी भी रत्न की अनुकूलता को जांचने के लिए उस ग्रह के अनुसार रेशमी वस्त्र में लपेट कर पूजित करने के पश्चात बांह में धारण करें.
6. एक से अधिक रत्न धारण करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखें कि प्रतिकूल प्रभाव वाले, परस्पर शत्रु राशियों वाले रत्न भूलकर भी न धारण करें.
यह भी पढ़ें- October 2020 Festivals: जानिए अक्टूबर माह में कब-कब पड़ेंगे कौन से तीज-त्योहार
7. रत्न कभी भी पौन रत्ती का न खरीदें. हमेशा सवा या वजन वाला ही रत्न खरीदें. जैसे आप ज्योतिषी की सलाह पर सवा चार रत्ती, सवा पांच रत्ती, सवा नौ रत्ती आदि का रत्न धारण कर सकते हैं.
8. रत्न को हमेशा उससे संबंधित धातु में ही बनवाकर धारण करना चाहिए, जैसे मोती को चांदी में, पुखराज को सोने में आदि.
9. रत्न को हमेशा उससे संबंधित उंगली में ही धारण करना चाहिए. मंगल के देवगुरु बृहस्पति के रत्न पुखराज को तर्जनी में, शनि से संबंधित रत्न को मध्यमा में पहनना चाहिए.
10. रत्न को हमेशा उसके शुभ दिन या तिथि में धारण करें, जैसे माणिक्य रविवार के दिन, मोती को सोमवार के दिन, पुखराज को गुरुवार के दिन, मूंगा को मंगलवार के दिन, पन्ना को बुधवार के दिन, नीलम, गोमेद और लहसुनिया को शनिवार के दिन धारण करें.
11. किसी भी रत्न को मास की चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथि को नहीं धारण करना चाहिए.
12. रत्न धारण करने के लिए दिन तय करने से पहले किसी भी योग्य पंडित से इस बात का पता लगा लें कि कहीं उस दिन गोचर का चंद्रमा आपकी राशि से चार, आठ अथवा बारह में तो नहीं है. इसके साथ ही अमावस्या, ग्रहण और संक्रांति के दिन भी रत्न न धारण करें.