Diwali की इस पूजा से खत्म होता है अकाल मृत्यु का भय, जानें पूजन विधि और मुहूर्त
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Diwali की इस पूजा से खत्म होता है अकाल मृत्यु का भय, जानें पूजन विधि और मुहूर्त

Naraka Chaturdashi 2021 Date, Time and Puja Muhurat: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय यमराज की पूजा करने से नरक की यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है. नरक चौदस का पावन पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चौदस को मनाया जाता है.

सांकेतिक तस्वीर

नई दिल्ली: Naraka Chaturdashi 2021 का पर्व धनतेरस (Dhanteras) के अगले दिन यानि छोटी दीपावली (Choti Deepawali) को मनाया जाता है. इस बार नरक चतुर्दशी का पर्व 3 नवंबर 2021, बुधवार को है. नरक चतुर्दशी का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. इस पर्व को भारतीय समाज में रूप चतुर्दशी, नरक चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस तिथि पर भी दीपदान का विधान है.

  1. इस बार तीन नवंबर को नरक चतुर्दशी की पूजा 
  2. रूप चतुर्दशी और नरक चौदस भी कहा जाता है
  3. यमराज के पूजन से खत्म होता है अकाल मृत्यु का भय

कई देवों की पूजा का विधान

भारत की सनातन और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि विधान से श्री हरि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है. इस दिन 6 देवी देवताओं यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और वामन की पूजा का विधान है. वहीं ये मान्यता भी है कि इस दिन मां काली की पूजा अर्चना करने से शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है. 

खत्म होता है अकाल मृत्यु का भय

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय यमराज की पूजा करने से नरक की यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है. नरक चौदस का पावन पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चौदस को मनाया जाता है.

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जानिए शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार नरक चतुर्दशी का पावन पर्व 3 नवंबर 2021, बुधवार को है. इस दिन यम देव की पूजा अर्चना करने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है और अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है. आइए जानते हैं इस पूजन का शुभ मुहूर्त तो नरक चतुर्दशी 3 नवंबर 2021 बुधवार की सुबह 09 बजकर 2 मिनट से आरंभ होगी और 4 नवंबर 2021, गुरुवार को सुबह 06 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी. वहीं दोपहर 01 बजकर 33 मिनट से 02 बजकर 17 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा. इस अवधि को पूजा पाठ के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया गया है.

नरक चतुर्दशी की पूजन विधि

सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. जैसा कि आपको पहले बताया गया है कि इस शुभ दिन 6 देवी देवताओं यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और वामन की पूजा का विधान है. ऐसे में घर के ईशान कोण में इन सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान से पूजा अर्चना करें. सभी देवी देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रो का जाप करें.

नरक चतुर्दशी के दिन यम के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर जलाया जाता है. घर की महिलाएं रात के समय दीपक में तिल का तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं. इस दिन रात के समय विधि-विधान से पूजा करने के बाद दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर रखते हैं. और ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप करते हुए यम का पूजन करती हैं.  

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इस पूजन से घर में सकारात्मकता का वास होता है. ऐसे में शाम के समय यमदेव की पूजा करें और चौखट के दोनों ओर दीप जलाकर रखें. इस दिन यमराज की पूजा अर्चना करने से पापों का नाश होता है. वहीं नरक चौदस के दिन तिल के तेल से मालिस करने का विधान है. कहा जाता है कि ऐसा करने से त्वचा में निखार आता है.

भूल कर भी न करें ये काम

यूं तो नरक चौदस पर दीप दान करने और साफ-सफाई रखने से घर में खुशहाली आती है. मगर इस दिन कुछ कामों को करने से बचना चाहिए. वरना साल भर घर में दरिद्रता का वास हो सकता है.

1.नरक चतुर्दशी के दिन जिन लोगों के पिता जीवित हैं वह भूलकर भी तिल से यम देव का तर्पण न करें. ऐसा करने से परिवार पर संकट आने का खतरा रहता है.

2.नरक चतुर्दशी के दिन जीव हत्या नहीं करनी चाहिए. चूंकि इस दिन यमराज की पूजा की जाती है ऐसे में हत्या से पाप लगेगा.

3.नरक चतुर्दशी के दिन घर के दक्षिण दिशा को गंदा नहीं रखना चाहिए. क्योंकि इसे यम का कोना माना जाता है. इससे आपके पितर नाराज हो सकते हैं.

4.नरक चतुर्दशी के दिन तेल का दान बिल्कुल भी न करें. क्योंकि ऐसा करने से घर में लक्ष्मी नहीं टिकती है.

5.नरक चतुर्दशी के दिन कभी देर से सोकर नहीं उठना चाहिए. ऐसा करने से भाग्य हमेशा के लिए सो जाता है.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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