Valmiki Jayanti: दुनिया के सबसे महान साहित्यकार का जन्मदिन, जानिए डाकू से कैसे रामायण के रचनाकार बने वाल्मीकि
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Valmiki Jayanti: दुनिया के सबसे महान साहित्यकार का जन्मदिन, जानिए डाकू से कैसे रामायण के रचनाकार बने वाल्मीकि

Valmiki Jayanti 2022: महर्षि वाल्मीकि का जन्म इसी महीने यानी कि अश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि के दिन हुआ था. इस बार 9 अक्टूबर के दिन वाल्मीकि जयंति मनाई जाएगी.  आइए जानते हैं रामायण के रचयिता वाल्मीकि से जुड़ी कुछ रोचक बातें.

वाल्मीकि जयंति

Maharishi Valmiki: 24000 श्लोकों वाली रामायण दुनिया की सबसे महान रचना मानी जाती है. भारत के घर-घर में इसकी पूजा और पाठ किया जाता है. त्रेता युग में जन्मी रामायण आज भी लोगों को प्रेरणा देती है. लेकिन आज हम रामायण की नहीं बल्कि दुनिया के सबसे महान साहित्यकार और रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के बारे में बात करेंगे. 

साधारण मनुष्य से बने साहित्यकार

महर्षि वाल्मीकि बचपन से साहित्य रचनाकार या फिर कोई महात्मा नहीं थे, बल्कि उनका जीवन साधुओं से एकदम उलट था. शायद ये बात आपको हैरान कर देगी कि महर्षि बचपन में एक डाकू थे. आइए जानते हैं कैसे शुरू हुआ एक बड़े डकैत से दुनिया के सबसे महान महाकाव्य रामायण के रचनाकार बनने का ये सफर...

जन्म और बचपन

वैसे तो आदिकवि वाल्मीकि के जन्म और जीवन को लेकर कई मत हैं. लेकिन मान्यताओं के अनुसार वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप के परिवार में हुआ था. इनकी माता का नाम चर्षणी और पिता का नाम भृगु ऋषि बताया जाता है. ब्राम्हण परिवार में जन्में वाल्मीकि को भील समुदाय के कुछ लोग चुराकर ले गए. वहां आदिकवि को रत्नाकर के नाम से बुलाया जाता था. और इनका काम होता था चोरी और लूट-पाट.  

किस घटना से बदला जीवन 

एक बार रत्नाकर डाकू ने नारद मुनि को बंदी बना लिया. नारद जी ने रत्नाकर से पूछा कि इन गलत कामों को करने से तुम्हें क्या मिलेगा. रत्नाकर ने जवाब में कहा कि, ये काम मैं अपने परिवार के लिए करता हूं. नारद जी ने डाकू से दूसरा प्रश्न किया. नारद मुनी ने कहा कि, जिन लोगों के लिए तुम गलत रास्ते पर चल रहे हो, उनसे पूछो कि क्या वो लोग तुम्हारे पाप के का फल भोगेंगे?  रत्नाकर ने जब ये सवाल अपने परिवार से किया तो घर के सभी सदस्यों ने पाप का भागीदार होने से इनकार कर दिया. इस घटना से रत्नाकर का हृदय परिवर्तन हो गया. इस बात से डाकू रत्नाकर बहुत दुखी हुए और फिर उन्होंने गलत मार्ग को छोड़ने का फैसला कर लिया.

रामायण की रचना और वाल्मीकि

नारद जी की प्रेरणा के बाद रत्नाकर राम की भक्ति में लीन हो गए. वर्षों तक तप किया. लंबे तप करने के दौरान बालों में दीमक लग गई. दीमक जहां लग जाए उस जगह को वाल्मीकि कहा जाता है और तभी से दुनिया के सबसे महान रचनाकार का नाम वाल्मीकि पड़ गया. राम भक्ति में लीन वाल्मिकी को इसके बाद रामायण महाकाव्य की रचना करने की प्रेरणा मिली.

वाल्मिकी का जीवन न सिर्फ एक कहानी है बल्कि ये हमें प्रेरणा देती है, अच्छे रास्तों पर चलने की. ये मिसाल है उन लोगों के लिए जो अपना जीवन बदलना चाहते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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