Ramayan Story: रावण ने प्रभु श्री राम की तारीफ की थी. जी हां बिल्कुल सही पढ़ा आपने. रावण ने अपने नाना माल्यवाण जी से प्रभु राम की तारीफ की थी.
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Ramayan Story: रावण ने कभी भी मर्यादा पुरुषोत्म राम को अपने बराबर नहीं माना. रावण हमेशा अपने सैनिकों को दिखाता था कि राम एक साधारण मानव है. वह कोई दिव्य पुरुष या कोई अवतार नहीं है. ऐसा करके वह अपने सेना और सेनापतियों का मनोबल हाई रखने की कोशिश करता था. हमेशा वह अपने सेनापतियों के सामने राम को अपने से कम बलशाली होने का दिखावा करता था. हालांकि रावण मन ही मन राम के प्रचंड प्रहार से वाकिफ भी था.
ऐसे बढ़ाता था सेना का मनोबल
इसी क्रम में जब राम और रावण युद्ध के मैदान में जब एक बार भिड़े तो उसे एहसास हो गया कि राम कोई साधारण मानव नहीं हैं. युद्ध में चोट खाने और लज्जित होने के बाद रावण अपनी पीड़ा किसी से कह नहीं पा रहा था. न तो वह सेनपतियों से मुखातिब हो रहा था और न हीं वह किसी से मिल रहा था.
माल्यवाण जी के सामने की थी तारीफ
इस बीच रावण की मुलाकात माल्यवाण जी से हो गई. माल्यवाण जी रिश्ते में रावण के नाना लगते थे. जैसे ही दोनों की मुलाकात हुई रावण गुस्से में राम के लिए कई सारी बातें की. उसी दौरान रावण के मुंह से प्रभु राम के लिए जो शब्द निकले. वो शब्द थे तो गुस्से में निकले हुए लेकिन तारीफ के शब्द थे.
यहां जानें रावण ने राम के लिए क्या कहा?
रावण ने माल्यवाण जी से कहा, उस वनवासी राम का बाण जब कमान पर चढ़ता है तब चतुर्मुख ब्रह्मा के समान दिखाई पड़ता है. और जब धनुष से छूटता है तब सहस्त्रमुख विष्णु के समान हो जाता है. जब प्रहार करता है तब वज्र के समना प्रलंयकारी बन जाता है. नाना जी हमने इंद्र के कुलिश शिव के त्रिशुल और विष्णु के सुदर्शन चक्र को अपनी ओर आते हुए देखा है. परंतु उनके और राम के बाणों में बहुत ज्यादा अंतर है.
राम के बाणों की गति इतनी तिव्र है कि कब धनुष से छूटते हैं कब निशाने पर लगते हैं देवताओं की दृष्टि भी उसे नहीं पकड़ पाती तब फिर इन साधारण आंखों से कैसे दिखाई देंगे. मानों तीनों लोकों की शक्तियां उसमें समा गई हो. ऐसा कहते हुए रावण बहुत ही गुस्से में होता है और उसके नाना माल्यवाण जी सिर्फ रावण को देखते रह जाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)