मौत के करोड़ों साल बाद भी मकड़ी ने नहीं छोड़ा अपने बच्चों का साथ, ये तस्वीर कर देगी हैरान
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मौत के करोड़ों साल बाद भी मकड़ी ने नहीं छोड़ा अपने बच्चों का साथ, ये तस्वीर कर देगी हैरान

शोधकर्ताओं ने पाया कि एक मकड़ी अपने बच्चों की सुरक्षा करते करते मौत की नींद सो गई और 99 मिलियन यानी 9 करोड़ 99 लाख साल बाद भी इसने अपने बच्चों का साथ नहीं छोड़ा.

Image Credit: Proceedings of the Royal Society B (2021)

यांगून: म्यांमार में Lagonomegopidae spiders प्रजाति की मकड़ी के 9 करोड़ 99 लाख पुराने जीवाश्म से शोधकर्ताओं ने एक हैरान करने वाली चीज का पता लगाया है. शोधकर्ताओं ने पाया कि एक मकड़ी अपने बच्चों की सुरक्षा करते करते मौत की नींद सो गई और 99 मिलियन यानी 9 करोड़ 99 लाख साल बाद भी इसने अपने बच्चों का साथ नहीं छोड़ा.

  1. शोधकर्ताओं को म्यांमार में ये राल के टुकड़े मिले हैं, जो पूरी कहानी बयां करते हैं. 
  2. तस्वीर में आप एक मादा Lagonomegopid मकड़ी को अंडे की थैली को पकड़े देख सकते हैं.
  3. यह ठीक वैसे ही है जैसे एक जीवित मादा करती है.

Lagonomegopidae spiders का इतिहास 

लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, Lagonomegopidae spiders की प्रजाति विलुप्त हो चुकी है, लेकिन इनका इतिहास करीब 145 मिलियन से 66 मिलियन साल पुराना है. Lagonomegopidae spiders को पहली बार करोड़ों साल पहले Cretaceous period के दौरान देखा गया था.

शोधकर्ताओं के मुताबिक, वयस्क मादा मकड़ी अपने बच्चों की देखभाल कर रही होगी, तब ऐसा हुआ होगा. लगभग 99 मिलियन साल पहले एक वयस्क मादा मकड़ी और उसके अंडे पेड़ से टपकने वाली राल में जम गए थे. 

शोधकर्ताओं को म्यांमार में ये राल के टुकड़े मिले हैं, जो पूरी कहानी बयां करते हैं. जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी: बायोलॉजिकल साइंसेज में इस खोज को लेकर एक स्टडी प्रकाशित की गई है.

मादा मकड़ी ने ऐसे की बच्चों की सुरक्षा

रिसर्च के लेखक पॉल सेल्डन के मुताबिक, तस्वीर में आप एक मादा Lagonomegopid मकड़ी को अंडे की थैली को पकड़े हुए देख सकते हैं. यह ठीक वैसे ही है जैसे एक जीवित मादा करती है.

राल के अन्य टुकड़ों में छोटी मकड़ियों को देखा जा सकता है जो कुछ देर पहले ही अंडे से बाहर आई थीं. इससे यह पता चलता है कि एक मादा  Lagonomegopid मकड़ी अपने अंडे की थैली को नुकसान से बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है.

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CT-स्कैनिंग से हासिल की जानकारी

राल के टुकड़ों से इस बात के सबूत मिले हैं कि मादा मकड़ी ही बच्चों की रक्षा करती थी. वहीं बच्चे अंडों से बाहर आने के बाद अपनी मां से चिपके रहे. बड़ी-बड़ी आंखों के चलते इन मकड़ियों की पहचान करना आसान है. शोधकर्ताओं ने इनके बारे में और जानकारी जुटाने के लिए CT-स्कैनिंग का इस्तेमाल किया. इससे मकड़ी और उसके बच्चों की पहचान करने में कामयाबी हासिल हुई. 

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