रेगिस्तान में सबसे अनोखी 'रहस्यमय' घड़ी, कैलेंडर की तरह देती थी ये जानकारियां
Advertisement
trendingNow1988425

रेगिस्तान में सबसे अनोखी 'रहस्यमय' घड़ी, कैलेंडर की तरह देती थी ये जानकारियां

पुरातत्वविदों (Archaeologists) नेअमेरिकी महाद्वीपों की सबसे पुरानी ऑब्जर्वेटरी Chankillo के बारे में हैरान करने वाली जानकारियां दी हैं.

Photo: AFP

लीमा: पुरातत्वविदों (Archaeologists) नेअमेरिकी महाद्वीपों की सबसे पुरानी ऑब्जर्वेटरी Chankillo के बारे में हैरान करने वाली जानकारियां दी हैं. Chankillo Observatory 2,300 साल पुरानी और सबसे अनोखी ऑब्जर्वेटरी है. इसे UNESCO की वर्ल्ड हेरिटेज साइट का भी दर्जा मिला है.

  1. दशकों तक रिसर्चर्स यह समझ नहीं सके कि इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता होगा.
  2. सोलर ऑब्जर्वेटरी की तरह काम करती थी विशाल घड़ी.
  3. साल के अलग-अलग समय बताती थी.

साल 2007 में छपी एक स्टडी मुताबिक, Chankillo Observatory एक सोलर ऑब्जर्वेटरी की तरह काम करती थी और साल के अलग-अलग समय के बारे में बताती थी.

कैलेंडर की तरह किया जाता था इस्तेमाल

बीबीसी साइंस फोकस मैगजीन के मुताबिक, पेरू की Incas नाम की सभ्यता के दो हजार साल पहले इसे बनाया गया था. करीब 250-200 ईसा पूर्व में यह बनकर तैयार हुआ था. एक पहाड़ के ऊपर पत्थर से बने 13 टावरों की इस ऑब्जर्वेटरी का इस्तेमाल कैलंडर की तरह किया जाता था.

Chankillo पर हाल में भी पुरातत्वविदों ने अध्ययन किया है और उन्होंने बताया कि लोग सटीक खगोलीय गणना के लिए इसका इस्तेमाल करते थे. इससे सूरज की चाल और आने वाले समय में Solstice और Equinox का पता लगाया जा सकता था. फिर इसी हिसाब से फसलों की कटाई और धार्मिक आयोजन रखे जाते थे.

सूरज की पूजा 

ऐसा माना जाता है कि यहां सूरज की पूजा भी होती थी. टावर्स के पूर्व और पश्चिम में ऐसी चीजें मिली हैं, जो इसके संकेत देती हैं. इसके चारों ओर दीवारें थीं जो पत्थर, मिट्टी और पेड़ के तनों से बनी थीं. अभी इसके कुछ हिस्से पर ही अध्ययन किया जा सका है. 

4 आम लोगों को स्पेस में भेजकर एलन मस्क की कंपनी ने रचा इतिहास, ये लोग बने हिस्सा

ऐसे बताती थी समय

हालांकि रिपोर्ट में भी ये कहा गया है कि दशकों तक रिसर्चर्स यह समझ नहीं सके कि इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता होगा. सोलर ऑब्जर्वेटरी की तरह काम करने वाली ये विशाल घड़ी साल के अलग-अलग समय बताती थी.

शोधकर्ताओं के मुताबिक, सितंबर में सूरज पांचवें और छठे टावर के बीच में होता था और 21 दिसंबर को आखिरी टावर तक चला जाता था.

Trending news