Ocean Drilling: कहां है अटलांटिस मैसिफ, जहां समुद्र के नीचे धरती में किया 1,268 मीटर गहरा छेद? आखिर क्या ढूंढ रहे वैज्ञानिक
Advertisement
trendingNow12375936

Ocean Drilling: कहां है अटलांटिस मैसिफ, जहां समुद्र के नीचे धरती में किया 1,268 मीटर गहरा छेद? आखिर क्या ढूंढ रहे वैज्ञानिक

Hole In Ocean: ज्वालामुखी विस्फोट समेत कई भौगोलिक घटनाओं के बारे में बारीकी से अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिकों के एक दल ने समुद्री ड्रिलिंग जहाज (Ocean Drilling Ship) का इस्तेमाल कर पानी के नीचे पृथ्वी की परत में गहरा छेद किया है. अटलांटिक समुद्र तल से 1,268 मीटर नीचे पृथ्वी के आवरण से चट्टानों में किया गया यह छेद अब तक खोदा गया सबसे गहरा छेद है.

 Ocean Drilling: कहां है अटलांटिस मैसिफ, जहां समुद्र के नीचे धरती में किया 1,268 मीटर गहरा छेद? आखिर क्या ढूंढ रहे वैज्ञानिक

Ocean Drilling Ship: पृथ्वी के ऊपरी परत में 1,268 मीटर यानी अब तक का सबसे गहरा छेद जीवन की उत्पत्ति का कोई खास सुराग दे सकता है. वैज्ञानिकों की एक टीम ने समुद्र के नीचे का पर्वत अटलांटिस मैसिफ क्षेत्र में यह गहरा छेद खोदा. क्योंकि उत्तरी अटलांटिक महासागर के मध्य में स्थित इस क्षेत्र में पृथ्वी का आवरण खुला रहता है.

अरबों साल पहले पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का सुराग

वैज्ञानिकों ने इस छेद से एक ऐसा रॉक सैंपल हासिल किया है, जिससे अरबों साल पहले पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में खास सुराग हाथ लग सकता है. पृथ्वी के आवरण में अब तक का सबसे गहरा छेद खोदने से पहले वैज्ञानिकों ने अटलांटिस मैसिफ नामक पानी के नीचे के पहाड़ के पास समुद्र तल में सिर्फ 200 मीटर गहराई तक जाने की शुरुआती योजना बनाई थी. यह योजना काफी महत्वाकांक्षी मानी जा रही है, क्योंकि इससे पहले ऐसा प्रयास कभी नहीं हुआ था. 

ऑशन ड्रिलिंग से सामने आया एक नया रॉक कोर 

रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऑशन ड्रिलिंग से एक नया रॉक कोर सामने आया है जो हमारे ग्रह की सबसे बाहरी परतों के विकास के अलावा, पृथ्वी पर जीवन कैसे शुरू हुआ जैसे सवालों के बारे में भी गहरी जानकारी उपलब्ध करा सकता है. हम सब जानते हैं कि पृथ्वी विभिन्न परतों से बनी है. इसमें एक ठोस बाहरी परत, एक ऊपरी और निचला मेंटल और एक कोर. पृथ्वी का ऊपरी मेंटल भूकंप और अन्य प्रक्रियाओं जैसे जल चक्र और ज्वालामुखियों और पहाड़ों के निर्माण के लिए जिम्मेदार है. 

वैज्ञानिकों को अभी तक नहीं मिली मेंटल से ज्यादा पहुंच 

वैज्ञानिकों को फिलहाल मेंटल तक भी ज्यादा पहुंच नहीं मिली है. कार्डिफ़ यूनिवर्सिटी के जोहान लिसेनबर्ग कहते हैं, "आज तक, हमें केवल मेंटल के टुकड़ों तक ही पहुंच मिली है, लेकिन ऐसे कई स्थान हैं जहां समुद्र तल पर आवरण खुला हुआ है." समुद्र के भीतर गहराई में स्थित अटलांटिस मैसिफ़ भी एक ऐसा क्षेत्र है जहां इसकी परछाइयां उजागर होती हैं. यह पर्वत पृथ्वी के आवरण का पता लगाने और पृथ्वी के आकर्षक इतिहास को खोदकर जानने का स्थान बन गया. 

अटलांटिस मैसिफ क्या है और कहां है? 

अटलांटिस मैसिफ मध्य-अटलांटिक पर्वतमाला के ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय क्षेत्र के पास स्थित है. यहां ज्वालामुखी मेंटल के कुछ हिस्सों के लगातार सतह पर आने और पिघलने का परिणाम हैं. ये मेंटल सूक्ष्मजीवी जीवन के पनपने का कारण भी है. जब समुद्री जल मेंटल में गहराई तक रिसता है, तो गर्म तापमान के कारण मीथेन जैसे रासायनिक कंपाउंड उत्पन्न होते हैं. ये यौगिक हाइड्रोथर्मल वेंट के माध्यम से ऊपर की ओर बढ़ते हैं और सूक्ष्मजीव जीवन के लिए ईंधन के रूप में कार्य करते हैं.

समुद्र के अंदर क्यों किया गया गहरा छेद?

कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि पृथ्वी पर जीवन हाइड्रोथर्मल वेंट के पास समुद्र की गहराई में शुरू हुआ. इसलिए सूक्ष्म जीवविज्ञानी सोचते हैं कि इन क्षेत्रों का अध्ययन करने से उन स्थितियों के बारे में जानने में मदद मिल सकती है जिससे जीवन की शुरुआत हुई. इसलिए, एक ड्रिलिंग जहाज JOIDES रेजोल्यूशन का उपयोग करके, लिसेनबर्ग और उनकी टीम ने मेंटल में 200 मीटर तक जाने की योजना के साथ ड्रिलिंग शुरू की.

ये भी पढ़ें - Ancient Calendar: तुर्की में प्राचीन स्मारक के खंभों पर खुदा मिला 'दुनिया का सबसे पुराना कैलेंडर', 12000 साल पहले होता था सटीक कैलकुलेशन

मेंटल के इस हिस्से से कौन से महत्वपूर्ण संकेत मिले?

वैज्ञानिकों की टीम का हिस्सा रहे लीड्स विश्वविद्यालय के एंड्रयू मैककैग ने कहा, "हमने लगातार चट्टानों के लंबे खंडों को बरामद किया और इसके साथ बने रहने और जितना संभव हो उतना गहराई तक जाने का फैसला किया." वे मेंटल में 1,268 मीटर की गहराई तक पहुंचने में कामयाब रहे और उन्हें मेंटल के इस हिस्से में महत्वपूर्ण संकेत मिले. इससे भविष्य में पिघलने की प्रक्रिया के पुनर्निर्माण से यह समझने में मदद मिल सकती है कि पिघली हुई चट्टानें समुद्री ज्वालामुखियों को कैसे पोषण देती हैं.

ये भी पढ़ें - Higgs Boson: The God Particle ने ब्रह्मांड को खत्म कर दिया होता, कैसे बचा वजूद?

Trending news