VIDEO: 41,000 साल पहले पलटा था धरती का चुंबक, अब वह भयानक आवाज सुन कलेजा कांप उठेगा!
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VIDEO: 41,000 साल पहले पलटा था धरती का चुंबक, अब वह भयानक आवाज सुन कलेजा कांप उठेगा!

Earth's Magnetic Field Flip: आज से कोई 41,000 साल पहले, हमारे ग्रह पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र लगभग गायब हो गया था. तब धरती के चुंबकीय ध्रुवों की अदला-बदली हुई थी.

VIDEO: 41,000 साल पहले पलटा था धरती का चुंबक, अब वह भयानक आवाज सुन कलेजा कांप उठेगा!

Science News: पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र पहली बार 3.7 अरब साल पहले बना. इसे मैग्नेटोस्फीयर भी कहा जाता है. यह चुंबकीय क्षेत्र ग्रह के बाहरी कोर के भीतर घूमते हुए धातु के महासागर द्वारा पैदा होता है. मैग्नेटोस्फीयर, पृथ्वी पर जीवन को सोलर रेडिएशन और हाई एनर्जी वाली ब्रह्मांडीय किरणों से बचाता है. हालांकि, बीच-बीच में पृथ्वी का यह आंतरिक डायनेमो कमजोर हो जाता है और ग्रह के चुंबकीय ध्रुवों की अदला-बदली हो जाती है. आखिरी बार ऐसा लगभग 41,000 साल पहले हुआ था. यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) वैज्ञानिकों ने उस घटना का ऑडियो-एनिमेशन तैयार किया है. चरमराहट भरी भयावह आवाजें बताती हैं कि हमारे ग्रह के अदृश्य सुरक्षा कवच पर कितना दबाव पड़ता है.

41,000 साल पहले की वो घटना... 

आज से लगभग 41,000 साल पहले मैग्नेटोस्फीयर अचानक कमजोर हो गया था. फिर यह कई शताब्दियों के दौरान कुछ समय के लिए उलट गया था. इसे लासचैम्प घटना के रूप में जाना जाता है. पिछली रिसर्च से यह भी पता चला है कि मैग्नेटोस्फीयर अपनी वर्तमान शक्ति के लगभग 5% तक कम हो गया था. नतीजा यह हुआ कि सोलर रेडिएशन की वजह से भूमध्य रेखा के पार भी ऑरोरा दिखने लगे थे.

VIDEO: आप भी सुनें वह भयानक आवाज

ESA ने 10 अक्टूबर को एक वीडियो जारी किया. इसमें दिखाया गया है कि कैसे लासचैम्प घटना के दौरान मैग्नेटोस्फीयर के भीतर चुंबकीय-क्षेत्र रेखाएं विकृत और कमजोर हो गईं. ESA ने इस एनिमेशन में लगभग 3,000 सालों को कवर किया है. इसे EWSA के स्वार्म मिशन के डेटा का इस्तेमाल करके बनाया गया है. स्वार्म मिशन, सैटेलाइट्स की एक तिकड़ी है जो 2013 से मैग्नेटोस्फीयर की निगरानी कर रही है.

रिसर्चर्स ने एक बयान में कहा, 'डेटा के साथ आवाज को बदलने की प्रक्रिया स्कोर से संगीत बनाने के जैसी है.' हालांकि, म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट्स के बजाय टीम ने अजीब 'एलियन जैसी आवाजें' निकालने के लिए प्राकृतिक आवाजों, जैसे लकड़ी की चरमराहट और चट्टानों के गिरने की रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल किया.

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हाल ही में पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुवों की स्थिति में हुए उतार-चढ़ाव का पता चला. यह भी मालूम हुआ कि मैग्नेटोस्फीयर में पहले की तुलना में बदलावों के प्रति अधिक संवेदनशीलता है. इस वजह से ऐसी अफवाहें फैली थीं कि हम एक और लासचैम्प घटना के कगार पर हो सकते हैं, जो मानवता के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है. हालांकि, यह सच नहीं है. नासा के अनुसार, पोलर रिवर्सल जैसी घटनाएं आमतौर पर हर 300,000 साल में एक बार होती हैं.

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