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कैनबरा: किसी जीव का लिंग निर्धारण (Gender Determination) उसके पैदा होने से पहले मां के भ्रूण (Embryo) या अंडे (Egg) में होता है. लेकिन धरती पर एक ऐसा प्राणी भी है, जिसका लिंग परिवर्तन क्लाइमेट चेंज होने की वजह से हो जाता है. इन जीवों में तापमान बढ़ने की वजह से मादा (Female) की संख्या लगातार बढ़ रही है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि तापमान ज्यादा होने पर अंडे से मादा ही निकल रही है. गर्मी ज्यादा होने पर अंडे के अंदर जीव का लिंग परिवर्तन हो रहा है.
बता दें कि यह जीव एक छिपकली है. जिसे फ्रांस के वैज्ञानिकों ने साल 1960 में वेस्ट अफ्रीका के सेनेगल जंगल में खोजा था. इस छिपकली के चेहरे पर त्वचा (Skin) की ऐसी बनावट होती है, जो दाढ़ी जैसी दिखती है. इसलिए इस छिपकली को बियर्डेड ड्रैगन (Bearded Dragon) कहा जाता है. अगर बियर्डेड ड्रैगन के अंडे 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान के संपर्क में आते हैं तो उनमें प्राकृतिक रूप से बदलाव होता है. मतलब अंडे में अगर नर भ्रूण (Male Embryo) है तो वह मादा में बदल जाता है.
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गौरतलब है कि कुछ मछलियों के अंडों (Fish's Eggs) के साथ भी ऐसा होता है. बियर्डेड ड्रैगन के नर में 2 एक जैसे क्रोमोसोम्स (Chromosomes) ZZ होते हैं. वहीं मादा में ZW क्रोमोसोम्स होते हैं. अगर अंडों की हैचिंग के वक्त वे ज्यादा तापमान के संपर्क आए तो अंडे से मादा के बाहर आने के चांस बढ़ जाते हैं. इसका मतलब है कि बियर्डेड ड्रैगन में मादा के पैदा होने के 2 तरीके हैं.
बियर्डेड ड्रैगन की मादा के पैदा होने का पहला तरीका प्राकृतिक है. जब अंडे से सीधे मादा जन्म लेती है. गर्मी के कारण नर भ्रूण (Male Embryo) का मादा में बदल जाना दूसरा तरीका है. इस प्रक्रिया में नर भ्रूण के जीन्स महिला के जीन्स में बदल जाते हैं. वैज्ञानिक भी लगभग आधी सदी तक इस पहेली को नहीं सुलझा पाए थे.
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इसकी जांच करने के लिए ऑस्ट्रेलिया (Australia) की कैनबरा यूनिवर्सिटी (Canberra University) की जेनेटिक साइंटिस्ट (Genetic Scientist) सारा व्हाइटली ने अपनी टीम के साथ मिलकर एक प्रयोग किया. उन्होंने बियर्डेड ड्रैगन की जेनेटिक सिक्वेंसिंग (Genetic Sequencing) की. एक सिक्वेंसिंग (Sequencing) को 28 डिग्री सेल्सियस तापमान में किया गया. जिससे नर क्रोमोसोम्स ZZ प्राकृतिक तरीके से विकसित हो पाएं. वहीं ZZ क्रोमोसोम्स की दूसरी सिक्वेंसिंग (Sequencing) 36 डिग्री सेल्सियस तापमान पर की गई.
सारा और उनकी टीम ने पाया कि गर्मी के कारण नर भ्रूण मादा में बदल गया. उन्होंने ये देखा कि सामान्य रूप से विकसित हुई मादा और नर भ्रूण से बनी मादा छिपकली के सक्रिय जीन्स (Active Genes) में अंतर था.
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