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वाशिंगटन: अमेरिका (America) में प्लास्टिक की बारिश हो रही है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वहां आसमान में चारों तरफ 1,100 टन माइक्रो प्लास्टिक दिख रही है. माइक्रो प्लास्टिक की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. माइक्रो प्लास्टिक (Micro Plastic) पहले कुछ जानवरों के शरीर में पाई गई लेकिन हाल ही में इसे इंसानों में भी पाया गया.
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस (National Acadmy Of science) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 84 फीसदी माइक्रो प्लास्टिक एयरबॉर्न है, जो वेस्टर्न अमेरिका के प्रमुख शहरों में सड़कों के आसपास से उड़कर आसमान में छा गई है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 11 प्रतिशत माइक्रो प्लास्टिक हवा के जरिए समुद्र की तरफ से आई है.
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जान लें कि ये माइक्रो प्लास्टिक जो अमेरिका में आसमान में छाई हुई है उसकी लंबाई 5 मिलीमीटर से भी कम है. ये प्लास्टिक बैग और बोतल से बनी है, जो इंसानों ने नदी, समुद्र या पानी के अन्य स्त्रोत में फेंक दिए थे. प्लास्टिक बैग और बोतल अब बहुत छोटे-छोटे पार्टिकल में टूट गई है.
एक स्टडी के अनुसार, वॉशिंग पाउडर भी माइक्रो प्लास्टिक का एक सोर्स है. सिंथेटिक कपड़े वॉशिंग पाउडर से धोने के बाद माइक्रोफाइबर्स पानी में मिल जाते हैं. बता दें कि प्लास्टिक कभी भी पूरी तरह से नष्ट नहीं होती है. प्लास्टिक समुद्र में जाकर छोटे-छोटे टुकड़ो में टूट जाती है. इसी वजह से समुद्र में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है.
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माइक्रोप्लास्टिक समुद्री जीव के लिए खतरनाक है और अगर बड़ी मात्रा में शरीर में जाए तो यह मानव जीवन के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है. प्लास्टिक को महासागरों में प्रदुषण का प्रमुख कारण माना जाता है, और पिछले कुछ दशकों में महासागरों में प्लास्टिक कचरे के भरमार मिले हैं.
(साभार- WION)
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