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नई दिल्ली : रिफ्रिजरेशन बेशक आज के जमाने की चीज है लेकिन क्या आप जानते हैं सदियों पहले लोगों को खाने को संरक्षित करने के लिए बहुत से जुगाड़ ढूंढने पड़ते थे. वे ऐसी टेक्नीक अपनाते थे जिससे बैक्टीरिया का विकास कम हो, जो कि खाने को खराब करने का कारण बनते हैं. चलिए जानते हैं सदियों पहले खाने को स्टोर करने के लिए क्या,-क्या करते थे लोग.
हाल ही में कुछ शोध किए गए जिसमें पाया गया कि अपने खाने की शेल्फ लाइफ बढा़ने के लिए लोग रिफ्रिजरेटर का इस्तेमाल किए बिना कुछ क्रिएटिव तरीके अपनाते थे.
खाने को ठंडा रखने के लोगों के पास कई तरीके थे, इसके लिए वे झील या तालाब के पानी में खाना रखते थे. इसके अलावा खाने को ताजा रखने का एक और आसान तरीका था खाने को बर्तन या हांडी में डालकर मिट्टी में दबा देना. ऐसा करके खाने को धूप, तेज गर्मी और ऑक्सीजन से बचाया जाता था क्योंकि ये सभी चीजें खाने को जल्दी खराब कर देती हैं.
खाने को मिट्टी में दबाना एक दिलचस्प विकल्प हैं. उत्तरी यूरोप में, प्राचीन सभ्यताओं में मक्खन सहित खाने को संरक्षित करने के लिए दलदल में डाला जाता था. इसके लिए वे एक डंडे पर रस्सी की सहायता से मक्खन की हांडी या खाने के बर्तन को बांधकर लटका देते थे. इसके बाद जरूरत के मुताबिक इन्हें रस्सी की मदद से बाहर निकाला जाता था. ये टेक्नीक बेशक अजीब लग सकती है लेकिन प्राचीन काल में बहुत मशहूर थी.
पुरातत्त्वविदों को इसके प्रमाण भी मिले हैं. दलदल में चिकने पदार्थों के साथ पैराफिन जैसे कई पदार्थों के ढेर मिले हैं. शोधकर्ताओं ने चिकने पदार्थ पर कैमिकल विश्लेषण किया और इसे एक डेयरी उत्पाद के रूप में पहचान दी और इसको बोग बटर का नाम दिया.
यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन स्कूल ऑफ आर्कियोलॉजी में सहायक प्रोफेसर जेसिका स्मिथ ने नेचर जर्नल में बोग बटर पर 2019 में एक शोध प्रकाशित किया. इस रिसर्च में बताया गया कि बोग के माध्यम से शुरुआत में कृषि समुदायों को डेयरी उत्पादों को लंबे समय तक खराब होने वाले से बचाने और अन्य खाद्य पदार्थों को संरक्षित करने का एक तरीका प्रदान किया.
जेसिका स्मिथ के अनुसार, लोगों ने गर्मियों में मक्खन को स्टोर करने के लिए दलदल का उपयोग किया. हालांकि क्यूरेटेड बटर खाने योग्य है, लेकिन यह आसपास के दलदल के कोयले के तीखे स्वादों को ले सकता है.
स्मिथ ने लाइव साइंस को बताया कि बोग बटर को एक अजीब घटना के रूप में देखना आसान है, लेकिन यह शायद उस समय एक आम बात थी.